भोपाल, गौरव शर्मा। आखिरकार महाराज की ताजपोशी हो ही गई। लंबे इंतजार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य बन गए हैं। उनके समर्थकों सहित पूरे प्रदेश मे इस खबर से खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गयी है।
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आकर्षक व्यक्तित्व और निर्विवाद छवि के चलते लोगों के दिलों में अलग स्थान रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके समर्थकों और बहुसंख्यक लोग महाराज के नाम से आदर पूर्वक पुकारते हैं। हालांकि सिंधिया कई बार सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि उन्हें महाराज कहलाना पसंद नहीं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी महाराज नहीं। बावजूद इसके लोग हैं कि मानते नहीं। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपना एक अलग व्यक्तित्व है। सौम्य, सहज और मुस्कुराहट भरा फिल्म स्टार सा चेहरा हर किसी को उनकी ओर आकर्षित कर देता है। मंचों से जनता के साथ साढ़े तीन सौ साल पुराने सिंधिया राजवंश के संबंध वे केवल बताते ही नहीं, बल्कि निभाते भी है। साल भर के भीतर पहले दादी विजयाराजे सिन्धिया और फिर पिता माधवराव सिन्धिया के असामयिक निधन के बावजूद उन्होंने जिस तरह से राजनीतिक विरासत को संभाला, वाकई एक उदाहरण है।
लोगों को शायद यह जानकर भी हैरानी होगी कि महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया सिंधिया राजवंश के पहले ऐसे मुखिया हैं जो नाम मात्र को भी महाराज नहीं क्योंकि 1971 में प्रिवि पर्स समाप्त करने के बाद औपचारिक रूप से यह पदवी भी समाप्त हो गई। लेकिन लोगों को खुदसे जोड़ने की कला और मुसीबत में मदद के जज्बे ने सिंधिया को लोगों के दिलों का महाराज बना दिया। पूरे प्रदेश में न जाने कितने ऐसे लोग होंगे जिनको साधारण चिकित्सा से लेकर एयर एंबुलेंस तक की मदद सिंधिया ने की है। कोरोना काल में जब कई राजनेता अपने हर काम को पेपर और चैनलों की सुर्खियां बना रहे थे, सिंधिया चुपचाप अपने पिता के नाम से बनाए गए माधवराव सेवा संस्थान के माध्यम से कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहे थे।
इतना ही नहीं, अंचल का शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जब मुसीबत के समय सिंधिया का फोन उसके पास न पहुंचता हो। एक बार चिलचिलाती लू भरी गर्मी में उनका साक्षात्कार लेने साथ बैठे पसीना बहा रहे पत्रकार ने उनसे एसी चलाने का निवेदन किया तो सिंधिया का कहना था कि वे कभी भी गर्मी में ऐसी नहीं चलाते। जेब में प्याज का एक टुकड़ा लू से हमेशा उनकी रक्षा करता है। अब सिंधिया केंद्रीय मंत्री हैं और इस बात की पूरी उम्मीद है कि वे जिस मंत्रालय को संभालेंगे उस के माध्यम से मध्यप्रदेश में विकास तेजी के साथ होगा।