भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले उम्मीदवारों के चयन को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। ग्वालियर लोकसभा सीट से इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल नए उम्मीदवार उतारने का इरादा कर रहे हैं। इस सीट पर 1999 से बीजेपी का कब्जा है। 99 से पहले ग्वालियर लोकसभा सीट से स्व. माधवराव सिंधिया सांसद थे। लेकिन बाद में उन्होंने गुना-शिवपुरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा तबसे आज तक ग्वालियर सीट पर बीजेपी का कब्जा है। अटकलें हैं कि बीजेपी इस सीट से पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को टिकट दे सकती है। वहीं, कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर सीट से उतारने की मांग की जा रही है।
दरअसल, ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन शानदार रहा है। कांग्रेस के खाते में ग्वालियर लोकसभा सीट से विधासभा चुनाव में आठ में से सात सीटों पर जीत मिली है। इस जीत का कारण सिंधिया का मैनेजमेंट और उनके प्रभाव को माना जा रहा है। जिसे देखते हुए उन्हें इस बार ग्वलियर से टिकट देने की मांग कांग्रेस समर्थक कर रहे हैं। वहीं, हाल ही में संधिया ने ग्वालियर व्यापार मेले का भी शुभारंभ किया। जहां उनके सामने ही समर्थकों ने यह मांग रख दी। हालांकि, सिंधिया कैमरे पर यही कहते दिखाई दिए कि जो पार्टी फैसला करेगी वह उसका सम्मान करेंंगे। लेकिन इस बार कांग्रेस के पास भी उनके सिवा कोई बड़ा चेहरा सामने नहीं है।
वहीं, शिवपुरी से विधायक और पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी ग्वालियर के लिए बड़ा चेहरा हैं। वह भी सिंधिया परिवार से हैं और उनका भी उतना ही वर्चस्व है जितना ज्योतिरादित्य सिंधिया का। बीजेपी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव से पहले सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के लिए सर्वे करवाया है। सर्वे की रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए इस बार चुनाव जीतना मुश्किल बताया गया है। ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में इस बार उनको लेकर जनता में असंतोष है। ऐसे में अगर बीजेपी उन्हें दोबारा टिकट देती है तो वह हार भी सकते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि यशोधरा राजे सिंधिया बीजेपी के लिए इस क्षेत्र में सबसे बड़ा और लोकप्रिय चेहरा हैं। ऐसी अटकलें हैं कि बीजेपी उन्हें लोकसभा सीट से उतार सकती है।
वहीं, अगर ऐसा होता है तो इतिहास में पहली बार होगा जब एक ही सीट पर सिंधिया परिवार आमने सामने होगा। आज तक राजनीति के इतिहास में किसी सीट पर सिंधिया परिवार में से कोई भी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा है। अब देखना होगा अगर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दल सिंधिया परिवार में से ही उम्मीदवार चुनतें हैं तो जीत किसके खाते में जाएगी। राजनीति के पंडित भी फिलहाल इस सवाल पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।