हम आतंकी नहीं, प्रदेश की स्वास्थ्य सेना हैं : संविदा स्वास्थकर्मी

Pooja Khodani
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MP Contract Health Workers: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों को अपराधियों की तरह रस्सी से बांधकर गिरफ्तार करने के बाद बवाल मच गया है। एक तरफ विपक्ष ने इसे शर्मनाक बताते हुए माफी मांगने की बात कही है वही दूसरी तरफ संविदाकर्मियों में भी नाराजगी है। आज 11वें दिन हड़ताल करते हुए संविदा कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और कहा कि हम आतंकी नहीं, प्रदेश की स्वास्थ सेना हैं।

दरअसल, भोपाल में शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का जेपी अस्पताल में हड़ताली संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने घेराव किया था। 100 से ज्यादा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मंत्री को ऐसा घेरा कि उन्हे मौके से दूसरे वाहन में बैठकर निकलना पड़ा। मंत्री के घेराव की इस घटना से हड़कंप मच गया, जिसके बाद सूचना पर पहुंची हबीबगंज पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 20 से ज्यादा संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को शांति भंग के आरोप में हिरासत में लिया है इस दौरान उनके हाथ बांधकर उन्हे प्रदर्शन स्थल से थाने लाया गया।इस दौरान संविदा कर्मियों ने चौधरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

संविदाकर्मी का छलका दर्द

कोरोना काल में अपनी पिता को खो चुकी एक संविदा कर्मी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि शनिवार को जो प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई, काला दिन जो इतिहास में दर्ज किया गया। हम लोगों को जेल ले जाया गया, हमारे साथ अन्याय किया, आवाज को दबाने की कोशिश की गई, हम हमारी सरकार से मांग रहे है, हम अपनी जायज मांगों को मांग रहे है। इसके बावजूद भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया गया ,ऐसे में हम कहां जाए।  हम आतंकवाद नहीं है,देश की स्वास्थ्य आर्मी है, जो जी जान लगाकर अपनी सेवाएं देती है और आज भी कोरोना काल यहां आया तो बढ़कर सेवा देंगे, क्योंकि हमसे से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हमारा देश है।

अरुण यादव ने भी जताई नाराजगी

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट कर लिखा कि अपनी उचित मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी जब स्वास्थ्य मंत्री से मिलने गए तो उनकी बात सुनने की जगह उन्हें गिरफ्तार कर आदतन अपराधियों की तरह रस्सी से बांधकर पुलिस ले गई।

कांग्रेस ने बताया शर्मनाक

एमपी कांग्रेस ने भी इसकी निंदा करते हुए ट्वीट किया है कि मध्यप्रदेश को शर्मसार करती तस्वीर:संविदा कर्मियों को पुलिस द्वारा रस्सियों से बांध कर ले जाना लोकतंत्र में बहुत ही शर्मनाक घटना है। इस तरह का अपराधियों जैसा व्यवहार किसी भी स्तर पर माफी योग्य नहीं है। शिवराज जी, अब आप सीमा लांघ रहे हैं।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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