भोपाल। मध्य प्रदेश में स्कूल व्यवस्था सुधरने का नाम वहीं ले रही है। 2018 – 19 का सत्र खत्म होने को है लेकिन अभी तक 25 लाख स्कूल छात्र अपने गणवेश का इंतजार कर रहे हैं। सिर्फ दो महीने में इस साल का सत्र खत्म हो जाएगा लेकिन राज्य शिक्षा केंद्र की लापरवाही के चलते अभी तक बच्चों को ड्रेस नहीं बंटी गई। इससे राज्य शिक्षा केंद्र की बदलहाली और लापरवाही की पोल खुल गई है। राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से प्रथमिक और मिडिल स्कूल के छात्रों को साइकिल और ड्रेस बांटना।
पहली कक्षा से लेकर आठवीं तक के 66 लाख छात्रों को स्कूल यूनिफॉर्म दिया जाता है। इसके लिए प्रति छात्र 600 रुपए का बजट आवंटित किया गया था। बीजेपी की पूर्व सरकार ने यह फैसला लिया था कि प्रदेश में यूनिफॉर्म स्वयं सहायता समूह द्वारा बनवाए जाएंगे। इसके पीछा सरकार का मकसद था कि इन समूहों को सशक्त करना। दूसरा इससे स्कूली छात्रों को भी समय पर यूनिफॉर्म मिल जाएगा। लेकिन दोनों ही मकसद में फिलहाल नतीजा सिफर नजर आ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक राज्य शिक्षा केंद्र ने यूनीफॉर्म करीदी के लिए छात्रों के खाते में नकद रुपए ट्रांसफर किए हैं। इनमें इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, अनूपपुर, अशोकनगर, भिंड, बुरहानपुर, दतिया, कटनी, खरगोन, मंदसौर, मोरेना, नीमच, रतलाम, सतना, सिवनी और उमरिया सहित 18 जिलों के छात्रों के खाते में राशि जमा की थी। भोपाल, सीहोर, विदिशा, सागर सहित बाकी 33 जिलों में कहा गया कि एमपी ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ड्रेस प्रदान की जाएगी। इन 33 जिलों के सूत्रों के अनुसार, बहुत कम छात्रों को ड्रेस मिली है, जबकि बाकी अभी भी इसका इंतजार कर रहे हैं। यूनीफॉर्म नहीं मिलने के सवाल पर अपसर अब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। वहीं, कुछ अधिकारियों ने तो सरकार के इस मॉडल को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।