मध्यप्रदेश उपचुनाव 2020 : मतदाताओं की चुप्पी में कई राज, किसकी बनेगी सरकार

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में हो रहे विधानसभा (Vidhansaha) के उपचुनाव (By-election) में चर्चाओं में मुद्दों की भरमार है मगर इनका जमीनी स्तर पर कितना असर है इसे पढ़ना आसान नहीं है, क्योंकि मतदान (Voting) के एक दिन पहले तक मतदाता (Voters) चुप्पी साधे हुए हैं। मतदाताओं की यही चुप्पी राजनीतिक दलों (Political Parties) और उम्मीदवारों (Candidates) को बेचैन किए हुए है, हालांकि दोनों ही दलों द्वारा दावे यही किए जा रहे है कि जीत तो उनकी ही होगी । लेकिन इसका फैसला तो परिणाम वाले दिन यानि 10 नवंबर को होगा कि MP में किसकी सरकार बनेगी और कौन राज करेगा।

दरअसल, मध्यप्रदेश में कांग्रेस (Congress) के कुल 25 विधायकों (MLA) की बगावत के कारण सत्ता बदलाव तो हुआ ही है साथ में उपचुनाव की नौबत आई है। कुल 28 स्थानों पर उप चुनाव हो रहे हैं, इन उपचुनाव में मुद्दे बहुत हैं जिनकी चर्चा है, मगर ये मुददे वोट दिला पाएंगे यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस जहां गद्दार, बिकाऊ, घोटालों को हवा दिए हुए है, वहीं दूसरी ओर भाजपा सीधे कमल नाथ (Kamal Nath) और उनकी सरकार के 15 माह के कामकाज को मुद्दा बनाए हुए है। भाजपा (BJP) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के 15 साल के शासनकाल और सात माह की बदली तस्वीर को मुद्दा बनाए हुए है। भाजपा पूरी तरह विकास पर केंद्रित और गरीबों की योजनाएं (Scheme) बंद करने को मुद्दा बना दिया है।

धोखे से जनता में आक्रोश, जवाब देगा वोटर- अलोक चतुर्वेदी

दोनों राजनीतिक दलों (Political Party) की बात करें तो तो उन्हें इस बात का भरोसा है कि चुनाव में मतदाता उनके उम्मीदवार और कामकाज को आधार बनाकर मतदान करेगा। छतरपुर (Chattarpur) के विधायक आलोक चतुवेर्दी (Alok Chaudhary) का कहना है कि यह चुनाव पूरी तरह मतदाताओं के साथ किए गए धोखे को लेकर है। आम वोटर भी इस बात को मान रहा है कि उनके साथ धोखा हुआ है और उनका विधायक (MLA) 35 करोड़ में बिक गया था। जिससे मतदाता आक्रोशित है और अपने साथ हुए धोखे का जवाब वह मतदान (Vote) करके देगा।

3 नवंबर को सबक सिखाएगा मतदाता- डॉ. दीपक विजयवर्गीय 

वहीं भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय (BJP Spoke Person Dr. Deepak Vijaywargiya) का कहना है कि यह उप चुनाव कांग्रेस की वादाखिलाफी के कारण हो रहे हैं क्योंकि कांग्रेस कर्ज माफी (Debt Waiver), नौजवानों को रोजगार (Employment) देने सहित कई वादों को करके सत्ता में आई थी, मगर उसने ऐसा नहीं किया। परिणाम स्वरूप ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और उनके समर्थकों ने कांग्रेस(Congress) छोड़ दी। प्रदेश का मतदाता वादाखिलाफी करने वालों को तीन नवंबर (3 November) को सबक सिखाएगा।

आखिर करें क्या?

राज्य की जिन 28 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं वहां का कोई भी मतदाता सीधे तौर पर राय जाहिर करने को तैयार नहीं है, हां इतना जरूर कहता है कि खरीफ फरोख्त की बात हो रही है लेकिन सरकार तो भाजपा की है। ऐसे में वह दुविधा में है कि आखिर करें क्या? वह सवाल करता है कि अगर हमारे इलाके से उस दल का उम्मीदवार जीत जाता है जिसकी प्रदेश में सरकार नहीं बनती तो क्षेत्र का क्या होगा। यही कारण है कि वह अभी तक तय नहीं कर पा रहा है कि उसे वोट किसे देना है।

क्या कहते है राजनैतिक जानकार

राजनीतिक विश्लेषज्ञों (Political Analysts) का कहना है कि चुनाव में कांग्रेस ने बिकाऊ और गद्दार को खूब हवा दी और यह चर्चा में भी है मगर इस तरह के नारे वोट में कितना बदल पाते हैं जिसका अंदाजा किसी को नहीं है। इसके साथ ही मतदाताओं में चुनाव को लेकर उत्साह नहीं है और यही कारण है कि किसी भी तरह का अनुमान लगाना मतदाताओं और क्षेत्र के साथ बेईमानी होगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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