भोपाल| मुख्यमंत्री कमलनाथ के सबसे कठिन सीट से लड़ने वाले फॉर्मूले में फंसे दिग्विजय के भोपाल से टिकट मिलने के बाद सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है| एक तरफ भाजपा नेता दिग्विजय को चुनौती न मानने का दावा कर रहे हैं| वहीं कांग्रेस खेमे में अंदरखाने चर्चा है कि कठिन सीट के फेर में उलझा कर दिग्विजय को रोकने की कोशिश की जा रही है| इस बीच दिग्विजय के पुत्र और कमलनाथ कैबिनेट में मंत्री जयवर्धन अपने पिता के लिए आगे आ गए हैं| उन्होंने ट्वीट कर लिखा है ‘अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियां बनाने की’ वहीं बाद में लिखा ….ये भाजपा को खुली चुनोती है!| जयवर्धन के इस ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे हैं|
दिग्विजय सिंह की भोपाल से औपचारिक घोषणा होने के बाद जयवर्धन ने अपनी प्रतिक्रिया ट्विटर पर दी| उन्होंने एक शायरी लिखकर अपनी प्रतिक्रिया दी है जो वर्तमान हालातों पर जमती है| उन्होंने लिखा “अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की, तो हमें भी ज़िद है ,वहि पर आशियाँ बनाने की” “सर्वत्र दिग्विजय सर्वदा दिग्विजय”। वहीं इसके इसके अपने ही ट्वीट फिर दोबारा लिखा ये भाजपा को खुली चुनोती है! | इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि दिग्विजय कोई चुनौती नहीं है, वे किसी को महत्त्व नहीं देते, दिग्विजय मतलब मिस्टर बंटाधार रिटर्न्स| वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वो दिग्विजय के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं, दिग्विजय के खिलाफ लड़ने में मजा आएगा| इसके बाद जयवर्धन ने अपने पिता के समर्थन में उन्हें बीजेपी के लिए चुनौती बताया है|
दरअसल, लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है| हमेशा अपने चर्चित बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले दिग्विजय विरोधियों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के नेताओं के भी निशाने पर रहे हैं| इसके बावजूद भी कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है| लेकिन उन्हें ऐसी सीट से उतारा जहां कांग्रेस के सभी प्रयोग फेल रहे हैं| ऐसे में चर्चा भी शुरू हो गई है| कांग्रेस की राजनीति में माना जा रहा है कि ट्वीट वार के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय को दोबारा पटकनी दी है। पहले जब दिग्विजय ने राजगढ़ से लड़ने की इच्छा जताई तो कमलनाथ ने उन्हें कठिन सीट से लड़ने की सलाह दी। सिंधिया ने भी इस पर सहमति जताई। अंदरखाने यह भी चर्चा है कि विधानसभा चुनाव का जिस तरह दिग्विजय को श्रेय दिया जा रहा था, उससे दिग्गज नाराज थे। यही कारण रहा कि दिग्विजय का कद कम करने के लिए उन्हें संघ के सामने परोसा गया है। अब यहां दिग्विजय के लिए भी बड़ी चुनौती है| बताया जाता है कि दिग्विजय अंतिम समय तक राजगढ़ के लिए प्रयास करते रहे लेकिन कमलनाथ ने उन्हें भोपाल के लिए मना लिया|