भोपाल। विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर फिलहाल भाजपा में कोई भी मंथन नहीं होने वाला है। न ही भितरघातियों पर कोई कार्रवाई होगी। आलाकमान ने दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक मेंं तीनों राज्यों के नेताओं को साफ संकेत दे दिए हैं। बैठक में कहा गया कि अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटना है। इसक लिए सभी राज्यों से कार्यक्रम बनाकर मैदान में उतरने को कहा है। वहीं इधर चुनाव के बाद प्रदेश भाजपा संगठन को मिली शिकायतों पर अभी तक विचार नहीं किया है। न ही अनुशासन समिति शिकायतों पर सुनवाई करने का कोई विचार कर रही है।
मप्र भाजपा संगठन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि अभी तक संगठन के अलग-अलग पदाधिकारियों के बाद करीब 50 से ज्यादा शिकायतें ऐसी हैं, जो सीधे तौर पर पार्टी प्रत्याशियों ने की है। शिकायतों में पार्टी के स्थानीय नेताओं से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों पर भितरघात के आरोप लगााए हैं। यही वजह है कि भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले हार पर मंथन करने की तैयारी में नहीं है। संगठन को अंदेशा है कि यदि विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा की गई तो संगठन के अंदरखाने चल रही नूरा-कुश्ती सड़क पर आ सकती है। जिसमें मप्र भाजपा के गुट भी उभर सकते हैं। जिसका नुकसान भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में हो सकता है।
ग्वालियर-चंबल से ज्यादा शिकायतें
भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान ग्वालियर-चंबल में हुआ। यहां 34 सीटों में से भाजपा को महज 6 सीट मिली हैं, जबकि पहले 20 सीट भाजपा के पास थीं। सबसे ज्यादा 6 शिकायतें अकेले मुरैना जिले की हैं। जिसमें कई स्थानीय बड़े नेताओं पर भितरघात के आरोप हैं। राजधानी भोपाल में भी भाजपा नेताओं के खिलाफ शिकायतें है। मध्य सीट से पार्टी प्रत्याशी रहीं फातिमा सिद्धिकी ने प्रदेश संगठन के अलग-अलग नेताओं से भितरघात करने वाले नेताओं की शिकायत की है। हालांकि अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
भाजपा में उभर सकती है गुटबाजी
विधानसभा चुनाव के परिणाम के एक महीने बाद मप्र भाजपा ने एक बार भी हार को लेकर बैठक नहीं हई है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष और डिप्टी स्पीकर को लेकर संगठन एवं विधायक दल की बैठकें हो चुकी है। संगठन सूत्रों का कहना है कि पार्टी की हार के पीछे मप्र भाजपा के अलग-अलग नेताओं की आपसी गुटबाजी है। यदि हार की समीक्षा की जाती है तो फिर भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी सड़क पर आ सकती है। यही वजह है कि भाजपा हाईकमान ने विधानसभा चुनाव को लेकर किसी भी तरह की समीक्षा करने से इंकार किया है। मप्र ही नहीं राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ इकाई को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाओ।
…तो होगा चुनाव में नुकसान
संगठन सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में हाईकमान के निर्देश पर ही हार की समीक्षा बैठक नहीं बुलाई जा रही है। हाईकमान को अंदेशा है कि यदि शिकायतों के आधार पर भितरघातियों पर कार्रवाई की गई तो उसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। हाल ही में दिल्ली बैठक से लौटे एक पदाधिकारी ने बताया कि हाईकमान ने तीनों राज्यों को हार की समीक्षा नहीं करने को कहा है।