MP Election 2023: महिला आरक्षण बिल के बीच दिग्विजय का दावा, गिनाए अपने कार्यकाल में महिलाओं के हित में किए गए काम

Pooja Khodani
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Digvijaya Singh'

Digvijay singh /Congress Government : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक और बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है। लोकसभा और राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पास होते दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आंकड़ों के साथ अपने कार्यकाल में महिलाओं के हित में किए गए कामों को गिनवाया है।

दिग्विजय ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि मध्यप्रदेश में 1993-2003 के बीच मेरे मुख्यमंत्री काल में महिलाओं के पक्ष में जो कार्य किये गए उनका विवरण। इसमें दिग्विजय सिंह ने पंचायती राज व्यवस्था, सरकारी नौकरी और भर्ती में महिलाओं को आरक्षण और साक्षरता दर समेत कई मुद्दों का जिक्र किया है। खास बात ये है कि दिग्विजय ने यह पोस्ट पूरी भाजपा और कांग्रेस को पोस्ट किया है।

पंचायती राज व्यवस्था लागू

दिग्विजय सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि   मध्यप्रदेश में वर्ष 1993-2003 के बीच हमारी सरकार ने सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू की, जिसके तहत हमने त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण दिया था। मेरे मुख्यमंत्रित्व काल में उस दौरान पंचायत राज व्यवस्था में 3 लाख 44 हजार 424 सीटें थीं, जिसमें से 1 लाख 16 हजार 516 स्थानों एवं जिला/जनपद पंचायत अध्यक्ष और ग्राम पंचायत के सरपंच पद के 22 हजार 387 स्थानों में से 7 हजार 515 स्थानों पर प्रदेश में महिलाओं को नेतृत्व ( प्रतिनिधित्व) करने का अवसर मिला था।

महिलाओं के लिए नौकरी में 30% आरक्षित

दिग्विजय ने आगे लिखा है कि मध्यप्रदेश में हमारी सरकार ने सरकारी, अर्द्ध सरकारी, पंचायत, स्थानीय और सहकारी संस्था की नौकरियों में 30 प्रतिशत पदों को महिलाओं लिए आरक्षित किया था। अकेले स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के 30 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की नियुक्ति हुई। प्रदेश में उस वक्त कुल 4 लाख 47 हजार शिक्षकों में से 1 लाख 31 हजार 103 महिला शिक्षक कार्यरत थीं।

 सहकारी बैंकों में भी महिलाओं की भागीदारी

दिग्विजय सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में मेरे 10 वर्ष के कार्यकाल में 13 महिला सहकारी बैंकों को संचालित किया गया था। हमने 4 हजार 489 महिला उपभोक्ता सहकारी भंडारों का गठन किया था। साथ ही प्रत्येक नवगठित सहकारी संस्था में कम से कम एक तिहाई महिला सदस्य होना अनिवार्य किया था।हमने प्रत्येक सहकारी संस्था के संचालक मंडल में भी महिलाओं को आरक्षण दिया था।मध्यप्रदेश में हमारी सरकार ने स्वीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम में 50 प्रतिशत महिलाओं (शेष भारत में 40 प्रतिशत महिलाओं को सहायता देने के निर्धारित मापदंड से ज़्यादा) को सहायता देना अनिवार्य किया गया।

महिला स्वसहायता समूहों के गठन को दी थी प्राथमिकता

दिग्विजय सिंह ने आगे बताया कि ग्रामोद्योग विभाग की योजनाओं में शेष भारत में 33 प्रतिशत किंतु हमारे शासनकाल में मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत सहायता महिलाओं को देना अनिवार्य किया गया था।कांग्रेस के 10 वर्षों के कार्यकाल में हमने तेंदुपत्ता मुंशियों के 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए सुरक्षित किए। यही नहीं वनोपज संग्राहकों के कार्ड में पति-पत्नी दोनों के नाम दर्ज करना अनिवार्य बनाया। तब यह व्यवस्था समूचे देश में सिर्फ मध्यप्रदेश में ही की गयी थी।हमारी सरकार ने राजीव गांधी जल ग्रहण क्षेत्र विकास मिशन के तहत 7 हजार 500 से अधिक महिला अल्प बचत और साख समूह गठित किए थे।हमने महिला स्वसहायता समूहों के गठन को प्राथमिकता दी तथा उस दौरान डेढ़ लाख से अधिक समूह गठित किए गए, जिसमें 15 लाख महिलाएं सहभागी बनीं।

सीधी भर्ती में भी महिलाओं को दिया था आरक्षण

दिग्विजय सिंह ने बताया कि हमारी सरकार ने कृषि विस्तार सेवाओं में भी महिलाओं की तादाद बढ़ाई जिसमें सीधी भर्ती के सभी पदों पर महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। महिलाओं को न्याय देने की दिशा में हमने मध्यप्रदेश में सात संभागीय मुख्यालयों- रीवा, सागर, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और भोपाल में परिवार न्यायालय स्थापित किए थे।कांग्रेस सरकार ने पुलिस मुख्यालय में राज्य स्तरीय महिला प्रकोष्ठ स्थापित किया और उस दौरान देश में उप पुलिस अधीक्षक और उप निरीक्षकों के 30 प्रतिशत तथा आरक्षकों के 10 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए थे।

सरकारी जमीन के सभी पट्टे पति-पत्नी के संयुक्त नाम से

दिग्विजय ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने मध्यप्रदेश में पटवारी के 30 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित कर जमीन जायदाद के मामलों में इनके अधिकार सुनिश्चित किए थे। हमारी सरकार ने राजीव गांधी आश्रय योजना के पट्टों सहित सरकारी जमीन के सभी तरह के पट्टे पति-पत्नी के संयुक्त नाम से दिए। पुनर्वासित परिवार की बालिग लड़कियों को भी स्वतंत्र इकाई मानकर अलग जमीन देने की व्यवस्था भी मध्यप्रदेश में हमने लागू की।हमारी सरकार ने निराश्रित पेंशन सेवा में विधवा, परित्यकता महिलाओं के लिए उम्र के बंधन को समाप्त कर दिया था।मध्यप्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में विधवा महिलाओं के लिए सहकारी गृह निर्माण संस्था के भवन और भूखंडों और स्थानीय संस्थाओं की दुकानों में आरक्षण की व्यवस्था की गई।

महिला उत्पीड़न निवारण समितियां की थी गठित

दिग्विजय ने आगे लिखा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ने तहसील स्तर पर महिलाओं की समस्याओं के हल के लिए महिला और बाल विकास द्वारा अनुविभागीय दंडाधिकारी-राजस्व की अध्यक्षता में 190 तहसील में महिला उत्पीड़न निवारण समितियां गठित की थी। मध्यप्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में महिला साक्षरता वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत वृद्धि दर से अधिक रही। वर्ष 1991 से 2001 के बीच महिला साक्षरता की राष्ट्रीय दर में जहां 14.87% अंकों की वृद्धि हुई, वहीं मध्यप्रदेश में महिला साक्षरता दर में 20.93 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की गई।हमारे शासनकाल में पहली बार मध्यप्रदेश में पुरुष और महिला साक्षरता दरों में अंतर कम होना प्रारंभ हुआ। वर्ष 1991 में यह अंतर 29.93 प्रतिशत था जो वर्ष 2001 में घटकर 26.52 प्रतिशत रह गया।

महिला नीति लागू करने वाला पूरे देश में MP पहला राज्य बना

दिग्विजय ने आगे लिखा कि कांग्रेस के मेरे शासनकाल में मध्यप्रदेश शिक्षा गारंटी योजना लागू करनेवाला समूचे देश का पहला राज्य बना। पुनर्गठित मध्यप्रदेश में 26 हजार 331 शिक्षा गारंटी स्कूल चलाए गए जिनमें उस दौरान 12 लाख बच्चे पढ़ रहे थे। शिक्षा गारंटी स्कूलों में 47 प्रतिशत गुरुजी महिलाएं थीं। जिन शिक्षा गारंटी स्कूलों में दो गुरुजी थे वहां हमने एक महिला गुरुजी का होना अनिवार्य किया था। इस तरह वर्ष 1993 से 2003 के बीच कांग्रेस के शासनकाल के दौरान राज्य स्तर पर महिला नीति लागू करने वाला पूरे देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य बना।

 


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