भोपाल।
पिछले लोकसभा चुनाव(loksabha election) में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Former Union Minister Jyotiraditya Scindia) को करारी मात देकर अपनी जीत से सियासी गलियारों में खलबली मचाने वाले शिवपुरी-गुना बीजेपी सांसद केपी यादव (Shivpuri-Guna BJP MP KP Yadav) एक बार फिर चर्चा में आ गए है।एक तरफ जहां इंदौर में गीता के सार के माध्यम से केपी को वापस कांग्रेस में आने का न्यौता दिया गया है वही दूसरी तरफ सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद यादव की उपेक्षा होने लगी है, उन्हें सिंधिया की वर्चअल रैलियों से दूर रखा जाने लगा है, ऐसे में साफ नजर आ रहा है महाराज की बीजेपी में एंट्री के बाद सांसद केपी यादव हाशिए पर आ गए है।
खबर है कि मुंगावली विधानसभा को लेकर आयोजित आज वर्चुअल रैली में अशोकनगर सांसद के पी यादव (Ashoknagar MP KP Yadav) को निमंत्रण नही दिया गया। सुत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में हार को लेकर केपी यादव के साथ सिंधिया मंच साझा नही करना चाहते थे, इसलिए उन्हें इससे दूर रखा गया। आज यहां सिंधिया उपचुनाव को लेकर बीजेपी की पहली रैली की और चुनावी शंखनाद किया।इस दौरान जहां दिल्ली से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वर्चुअल रैली को संबोधित किया और कांग्रेस पर जमकर बरसे।वही प्रदेश कार्यालय में वर्चुअल रैली के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने मुंगावली की जनता को संबोधित किया।पूरी रैली में केपी यादव का ना होना चर्चा का विषय बना रहा है, सियासी गलियारों में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।बताया जा रहा है कि सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही केपी ने दूरी बढ़ा ली है वे सिंधिया या उनके समर्थकों के किसी भी कार्यकम में नही शामिल हुए है।खास बात तो ये भी है कि सिंधिया के समर्थक माने जाने वाले बृजेन्द्र सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद जहां स्थानीय नेताओं ने उन्हें बधाई दी और उनसे मिलने पहुंचे लेकिन केपी ने दूरी का दायरा बरकरार रखा।।
पूर्व विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया केपी को झटका
इतना ही नही हाल ही में हुए शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार (Shivraj cabinet expansion) में मुंगावली से दो बार विधायक रहे सिंधिया समर्थक ब्रजेन्द्र यादव का शामिल होना भी चौंकने वाला रहा।सुत्रो की माने तो स्थानीय सियायत में बडे गुणाभाग एवं सिंधिया की इच्छा से उनको मंत्री पद मिला है। सबसे बड़ा कारण सिंधिया की लोकसभा हार से जुड़ा मामला है जिसे सिंधिया अबतक नही भुला पाए है। ब्रजेन्द्र की मंत्रिमंडल में एंट्री कही ना कही केपी यादव को कमजोर करने के लिए की गई है क्योंकि दोनो मुंगावली से आते है।वही दूसरा बड़ा कारण यादव समाज को साधना है। सिंधिया जिस इलाके से राजनीति करते है वह पूरा संसदीय क्षेत्र यादव बाहुल्य है।यहां करीब आधा दर्जन सीटों पर यादव वोटरो को सन्देश देने के लिये ब्रजेन्द्र यादव को मंत्री पद से नवाजा गया है। चुंकी लोकसभा में केपी यादव सिंधिया को हराकर बड़ा नाम समाज के लिये बन चुके है ,ऐसे में उसके प्रभाव को कम करने के लिये ब्रजेन्द्र यादव का कद बढ़ाये जाने की यह राज्यसभा सांसद सिंधिया की सोची समझी रणनीति मानी जा रही है।ब्रजेन्द्र यादव के मंत्री बनने से मुंगावली से साथ अशोकनगर सीट को भी साधने की कोशिश है दोनो जगह उपचुनाव है एवं यहां अच्छी खासी संख्या में यादव वोटर है।खैर अब देखना है कि राजनीति किस ओर करवट लेती है।
विधानसभा चुनाव से पड़ी दोनों के रिश्तों में खटास
बता दे कि वर्तमान में बीजेपी सांसद केपी यादव पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हैं, उनके पिता अशोकनगर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे हैं। केपी यादव कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया करीबी माने जाते थे और लोकसभा चुनावों के दौरान सिंधिया की चुनाव तैयारियों देखा करते थे।लेकिन दोनों के बीच में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उनका मुंगावली विधानसभा टिकट कटने पर ऐसे खटास पड़ी की दोनों एक दूसरे के विरोधी हो गए।इसके बाद केपी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया और लोकसभा में सिंधिया को करारी मात दी। सालों में यह पहला मौका था जब सिंधिया अपने ही प्यादे से लोकसभा चुनाव में लाखों के अंतर से हार गए।अब चुंकी सिंधिया ने बीजेपी का दामन थाम लिया और राज्सभा सांसद बन गए है, इसके बावजूद दोनों की कडवाहट नही मिटती नजर आ रही है।
सिंधिया-यादव की नाराजगी का कांग्रेस उठा रही फायदा
सिंधिया के बीजेपी मे शामिल होने के बाद कांग्रेस ने केपी पर डोरे डालना शुरु कर दिया है। बीते दिनों पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सचिन यादव केपी से मिलने उनके घर पहुंचे थे, इसके बाद उनकी कांग्रेस में वापसी की अटकलें शुरु हो गई थी, हालांकि मामले के तूल पकड़ते ही केपी ने सफाई देते हुए कहा था कि मैं भाजपा का एक समर्पित कार्यकर्ता हूं । विगत दिनों से विपक्षियों द्वारा मेरे खिलाफ सोशल मीडिया पर षडयंत्र पूर्वक कांग्रेस में जाने की निराधार खबरें चलाई जा रही हैं। जिनकी मैं कड़ी निंदा करता हूं।ऐसे षड्यंत्र से वह भाजपा के कार्यकर्ताओं के मनोबल को चोट नहीं पहुंचा सकते। मैं विपक्षियों से कहना चाहूंगा कि कृपया ऐसी भ्रामक और निराधार खबरें ना चलाएं।लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया के दबदबे और मुंगावली के पूर्व विधायक ब्रजेन्द्र यादव को मंत्री बनाने के बाद कांग्रेस ने फिर केपी को अपने जाल में फंसना शुरु कर दिया है। अब इंदौर में एक पोस्टर के माध्यम से कांग्रेस ने केपी को घर वापसी का न्यौता दिया गया है।इसमें गीता का हवाला देते हुए धर्म और अधर्म की बात की गई है।अब देखना दिलचस्प होगा कि केपी का अगला कदम क्या होगा। क्या महाराज से यादव हाथ मिला लेंगे या फिर यह कड़वाहट लंबी चलेगी।
(भोपाल से पूजा खोदाणी की खास रिपोर्ट)