भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP School) के 17000 से अधिक स्कूलों पर खतरा मंडरा सकता है। दरअसल राज्य शासन की तरफ से विभाग (school education department) द्वारा सभी निजी स्कूलों को फीस (fees) संबंधी जानकारी साइट पर अपलोड करने को कहा गया था लेकिन 17 हजार से अधिक स्कूलों ने अपने संबंधी जानकारी अपलोड नहीं की है, जो कहीं ना कहीं स्कूल शिक्षा विभाग के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन है। वही जल्द ही इन स्कूलों पर कार्रवाई की जा सकती है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा फीस का ब्यौरा मांगा गया था लेकिन अब तक सिर्फ 52 फ़ीसदी स्कूल होने फिर संबंधी जानकारी राज्य शासन की साइट पर अपलोड की है। शिक्षा पोर्टल पर निजी स्कूलों द्वारा फीस संबंधित विवरण अपलोड किए जाने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी बड़ी कार्रवाई के मूड में हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजी स्कूलों को फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध कराने के लिए 18 अक्टूबर तक का अतिरिक्त समय दिया गया था। इसके बावजूद अब तक प्रदेश के 17870 स्कूलों ने यह जानकारी शिक्षा पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। हालांकि विभागीय अधिकारी का कहना है कि जल्द स्कूलों की तरफ से ब्यौरा अपलोड कर दिया जाएगा।
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इससे पहले राजधानी भोपाल में समय पर फिर संबंधित जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध कराने की वजह से 700 से अधिक निजी स्कूलों पर ₹10000 का जुर्माना लगाया गया है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है कि इन स्कूलों को नोटिस भेजा गया है। नोटिस का जवाब नहीं देने पर ₹10000 जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है।
बता दें कि मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहने की स्थिति में निजी स्कूलों द्वारा लगातार फीस में बढ़ोतरी की जा रही थी। जिसको लेकर अभिभावकों द्वारा सवाल खड़े किए गए थे। इस पर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों की फीस संबंधी ब्यौरा की जानकारी मांगने के निर्देश दिए थे।
इस दौरान Supreme Court ने MP school को Fees संबंधी जानकारी अपलोड करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया था। जिसकी अवधि 18 अक्टूबर को समाप्त हो चुकी है। वहीं मध्य प्रदेश में 37284 स्कूलों की सूची में अब तक केवल 19414 स्कूलों ने ही जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध करवाई है। अकेले राजधानी भोपाल में 1990 निजी स्कूल हैं। जिनमें से एक 1141 स्कूलों द्वारा ही फिर संबंधित जानकारी का ब्यौरा भेजा गया है।
मध्य प्रदेश पालक महासंघ के महासचिव प्रमोद पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग से निजी स्कूलों द्वारा फीस का ब्यौरा मांगा था। अभी तक केवल 52 फ़ीसदी स्कूल नहीं जानकारी भेजी है। स्कूल की संख्या में भी गड़बड़झाला किया जा रहा है। जवाब देना चाहिए कि 14 हजार स्कूल अचानक से कहां गायब हो गए। इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।