जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण (MP OBC Reservation) का मामला गहराता जा रहा है। प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj government) द्वारा इस मामले में हाई कोर्ट जवाब पेश किया गया है। राज्य सरकार ने एक बार फिर से कहा है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High court) के इस मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। दरअसल MPPSC द्वारा ADPO को 27% आरक्षण देने पर आपत्ति उठाई गई है। मामले में हाईकोर्ट में जवाब पेश करते हुए शिवराज सरकार ने कहा कि आरक्षण की 50% सीमा को रोका जा चुका है। इसमें संशोधन कर इसे समाप्त कर दिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को तय की गई है।
बता दे कि सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी की भर्ती की जा रही है। मध्यप्रदेश शासन ने इस भर्ती प्रक्रिया में अन्य पिछडे वर्ग को 27% आरक्षण का लाभ दिया है। जिसके बाद आवेदन पर शिवम गौतम द्वारा इस पर आपत्ति जताते हुए याचिका दाखिल की गई है।
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मामले में उच्च न्यायालय में जवाब पेश करते हुए शिवराज सरकार ने कहा कि इंदिरा साहनी के केस में 50% के आरक्षण सीमा संसद द्वारा संशोधित कर समाप्त की जा चुकी है। इतना ही नहीं 27% आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने उचित माना है। 7 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक आदेश पारित किया गया था। जिसमें ओबीसी को 27% और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसद आरक्षण देने की बात कही गई थी।
इसके साथ ही 50% की सीमा का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म माना जा रहा था जिसके बाद मामले में सुनवाई के बाद जबलपुर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। MPPSC सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी की भर्ती परीक्षा मैं ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया है।
इससे पहले MPPSC द्वारा वैज्ञानिक अधिकारी की भर्ती निकाली गई थी। भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी को 27% आरक्षण दिया जा रहा है। जिस पर भी याचिका दायर की गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता अंजू शुक्ला का कहना है कि यह नियम के खिलाफ है। इस मामले में सरकार की तरफ से नियुक्त हुए वकील रामेश्वर सिंह ने तर्क दिया है कि मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण देना संविधान के अनुरूप लिया हुआ फैसला है। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी को तय की गई है।