New criminal laws : देश में लागू नए आपराधिक क़ानून पर बोले अमित शाह ‘हमारी न्याय प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी हुई, दंड की जगह अब न्याय होगा’

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन क़ानूनों के लागू होने के बाद अब देरी के बजाय स्पीडी ट्रायल और त्वरित न्याय मिलेगा। पहले, केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की जाती थी, लेकिन अब पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा होगी।

Amit Shah

New criminal laws enacted from today : आज से देश में तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता लागू हो गए हैं। इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से ‘स्वदेशी’ हो रही है। उन्होंने कहा कि आज से अंग्रेजों के क़ानून निरस्त हुए और भारत की संसद द्वारा बनाए गए क़ानून लागू हुए हैं।

अमित शाह ने नए क़ानून को लेकर कही ये बात

एएनआई से बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि एक नए नज़रिए के साथ ये क़ानून लागू हुए हैं। उन्होंने कहा कि ‘यह भारतीय लोकाचार पर कार्य करेगा। 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार किया गया और आज से जब ये कानून लागू हुए हैं तो अंग्रेज के कानून निरस्त होकर और भारतीय संसद में बने कानूनों को व्यवहार में लाया जा रहा है। ‘दंड’ की जगह अब ‘न्याय’ होगा। देरी के बजाय स्पीडी ट्रायल और त्वरित न्याय मिलेगा। पहले, केवल पुलिस के अधिकारों की रक्षा की जाती थी, लेकिन अब, पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी। मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि ये तीनों कानून के लागू होने के बाद सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेगी।’

नए क़ानूनों में किए गए हैं कई नवीन प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता ने आईपीसी (1860), सीआरपीसी (1973) और एविडेंस एक्स (1872) की जगह ले ली है। अब नए क़ानून के तहत आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। बलात्कार पीड़िता के बयान उनके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएँगे। नाबालिग के साथ या सामूहिक बलात्कार में आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा हो सकती है। इसी तरह मॉब लिंचिंग के लिए भी कठोर सजा का प्रावधान है। साथ ही नए क़ानूनों में कई अन्य बिंदु शामिल हैं और अमित शाह ने कहा है कि इनके लागू होने से अब पुलिस के अधिकारों के साथ पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा भी होगी।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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