भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) द्वारा राज्य के कर्मचारियों (MP Government Employees) और पेंशनरों को 8 फीसदी महंगाई भत्ते और वेतनवृद्धि सौगात दिए जाने के बाद अब कर्मचारियों ने केंद्र के समान फेस्टीवल एडवांस की मांग उठाई है।मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से 10 हजार रुपए त्यौहार अग्रिम के लाभ के तौर पर दिए जाने की मांग की है।
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ भोपाल (MP Third Class Government Employees Union Bhopal) के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि दीपावली त्योहार पर पिछले साल की तरह ₹10000 त्योहार मध्यप्रदेश में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी स्थाई कर्मी और नियमित संविदा कर्मी को प्रदान किया जाए, ताकी कर्मचारियों की दिवाली रोशन हो।
उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को बोनस दे रही है ताकि कर्मचारी अच्छे से त्योहार मना सकें, बढ़ती महंगाई को दृष्टिगत रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भी अपने अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को ₹10000 त्योहार अग्रिम दिया जाए। यह अग्रिम भी कर्मचारी द्वारा वापस किया जाता है, इसलिए सरकार को अविलंब इसकी स्वीकृति देना चाहिए ताकि कर्मचारी इस महंगाई में अपने परिवार सहित अच्छे से त्योहार मना सकें।
बता दे कि मप्र सरकार ने शासकीय सेवकों तथा स्थाई कर्मी को देय महंगाई भत्ते की दर में अक्टूबर 2021 से 8 प्रतिशत वृद्धि के आदेश जारी कर दिए हैं। कर्मचारियों को जनवरी 2019 से सातवें वेतनमान में 12% की दर से महंगाई भत्ता दिया जा रहा था।अब महंगाई भत्ता दर में 8% की वृद्धि की गई है। इस प्रकार सातवें वेतनमान के अनुसार 20 प्रतिशत मंहगाई भत्ता (Dearness Allownce) देय होगा।
वही ऐसे सभी शासकीय सेवक जिन्हें जुलाई 2020 या जनवरी 2021 की वार्षिक वेतन वृद्धि का काल्पनिक रूप से पात्रता है, उन्हें जुलाई 2020 से 1 जनवरी 2021 को देय वार्षिक वेतन वृद्धि के परिणामस्वरूप देय एरियर्स का भुगतान दो बराबर किश्तों में किया जाएगा।पहली किश्त का भुगतान नवंबर 2021 में होगा और दूसरी किश्त का भुगतान मार्च 2022 में होगा।1 मार्च 2022 के पूर्व सेवानिवृत्त हो चुके या होने जा रहे शासकीय सेवकों को एरियर्स (arrears) की देय राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।
पिछले साल का आदेश
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
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(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)