Thief’s temple trip with stolen funds : चोरी करना बुरी बात है, अपराध है। अपराध की राह पर कदम भी नहीं रखना चाहिए ये बात हमने हमेशा से सुनी और पढ़ी है और इसपर अमल भी किया जाता हैं। ज़्यादातर लोग ईमानदारी से मेहनत कर अपनी आजीविका कमाते है। लेकिन जो लोग अपराध में लिप्त हैं..अगर वो ऐसा को कृत्य करने के बाद तीर्थयात्रा पर चले जाएँ, तो क्या उनके अपराध की माफ़ी मिल जाएगी ?
मान्यता है कि तीर्थ पर जाना हो तो उसके लिए जो पैसा हो वो नेकी की कमाई होनी चाहिए। यूँ तो पूरा जीवन ही नेकी की कमाई से चलना चाहिए और बहुलता में ऐसा होता भी है। लेकिन हाल ही में रायपुर से जो घटना सामने आई है, वो सुनकर कोई भी हैरत में पड़ जाएगा।
चोरी के पैसों से तीर्थयात्रा
एक चोर ने चोरी की। उन पैसों को जी भरकर ऐशों आराम में उड़ाया। उसके बाद भी पैसे बच गए तो अपने परिवार के साथ तीर्थयात्रा पर चला गया। इस चोर का नाम रविशंकर महानंदिया है और रायपुर पुलिस ने ओडिशा के रायगढ़ा से इस शातिर चोर को धर दबोचा है। उसके साथ उसके गिरोह के अनिल कुमार और पी. श्रीकांत नाम के दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है, जबकि चौथा आरोपी बिज्जू अभी फ़रार है।
पुलिस ने पूरे गिरोह को पकड़ा
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, इस गिरोह ने डीडी नगर क्षेत्र में एक सूने घर को अपना निशाना बनाया और क़रीब पांच लाख के गहनों पर हाथ साफ कर दिया। इसके बाद इन्होंने गहनों को बेचा नहीं बल्कि मुथूट फ़ाइनेंस में गिरवी रख दिया। इनसे जो पैसे मिले उनका बँटवारा हो गया और फिर रविशंकर नाम के आरोपी ने अपने परिवार के साथ इन्हीं चोरी के पैसों से मथुरा और वृंदावन की तीर्थ यात्रा की। लेकिन वहाँ से लौटते ही पुलिस ने उसे धर दबोचा। इस तरह चोरी के पैसों से तीर्थ यात्रा करने का कोई सद्परिणाम उसे नहीं मिला क्योंकि बुराई का नतीजा किसी भी हाल में अच्छा हो ही नहीं सकता। फ़िलहाल गिरोह के तीन आरोपी पुलिस की गिरफ़्त में हैं और चौथे की तलाश जारी है।