भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश एवं देश भर में जब किसानों से जुड़े मुद्दे सबसे प्रमुखता से चल रहे है, उसी दौर में प्रदेश उपचुनाव (Madhya Pradesh by-election) से पहले किसानों की सब्सिडी (Farmers subsidy) में करोड़ों का बड़ा और सनसनीखेज घोटाला उजागर हुआ है।
जानकारी के मुताबिक कि कृषि विभाग (Agriculture Department) द्वारा जिला स्तर से निजी कंपनियों (Private companies) को करोड़ों रुपये के सप्लाई का आर्डर दिया है, जिसमें दिशा-निर्देशों को भी ताक पर रखा गया है। कृषि संचालक प्रीति मैथिल नायक (Agriculture Director Preeti Maithil Nayak) ने इस मामले में जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।
सूत्रों की माने तो उप संचालक, कृषि रीवा सहित जिलों ने डायरेक्ट एक कंपनी को आधा दर्जन से ज्यादा जैव उत्पादों के सप्लाई का आर्डर दिया है, जिसमें मार्कफेड से रेट अप्रूवल और एमपी एग्रो के दिशा-निर्देशों को भी ताक पर रखा गया है। इतना ही नहीं सप्लाई ऑर्डर्स में लिखा गया है, जबकि ऐसे कार्यो के लिये तय मापदंडों का पालन किया जाना जरूरी है। बताया जा रहा कि इस घोटाले के तार नीचे से ऊपर तक तक जुड़े दिख रहे है।सूत्रों की माने तो हेडऑफिस के निर्देशानुसार सामाग्री का ऑर्डर जारी किया गया है, जो कि शासकीय भंडार क्रय नियमों के खिलाफ है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेता व मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही (Kedar Shankar Sirohi) ने इस पूरे मामले को 240 करोड़ रुपये का घोटाला बताया है। वही सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan), कृषि मंत्री कमल पटेल और गिर्राज दंडौतिया से पूछा है कि इन्हें किसका संरक्षण प्राप्त है , इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
क्या कहता है नियम
शासन के नियमानुसार कृषि आदान माइक्रोनूट्रीएंट, जैव उत्पाद, बायोकल्चर आदि के दर अनुमोदन एफसीओ (फर्टिलाइजर कंट्रोल आर्डर) व कीटनाशक अधिनियम के अंतर्गत होता है। यह अनुमोदन भी सिर्फ एमपी माकर्फेड ही कर सकता है।