‘कर्जमाफी’ पर शिवराज का सवाल, ’10 दिन का वचन, 25 दिन में भी पूरा नहीं हुआ’

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भोपाल| विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी की घोषणा ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया और 15 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है| वहीं कर्जमाफी की घोषणा विपक्ष के लिए भी एक बड़ा मुद्दा है| जिसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कमलनाथ सरकार की लगातार घेराबंदी कर रही है| शिवराज ने कहा है विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। कांग्रेस की सरकार बन गई, जिसे 10 दिन नहीं, 25 दिन हो गए, लेकिन व्यावहारिक रूप से किसान के कर्ज का एक नया पैसा माफ नहीं हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्वीटर के जरिए कांग्रेस सरकार को घेरा है। उन्होंने एक के बाद एक 10 ट्वीट करके सरकार से सवाल पूछे हैं।

पूर्व सीएम शिवराज ने कहा मैं प्रदेश सरकार से मांग करता हूं कि सभी किसानों का 2 लाख रुपए तक का लोन माफ करने के लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान किया जाए और जो समर्थन मूल्य के नीचे बोनस व अतिरिक्त राशि देने का फैसला हमने किया था, उसे लागू कर किसानों को राहत दी जाए। उन्होंने कहा मप्र में 50 लाख से अधिक किसानों का 40 हजार करोड़ रूपये से अधिक कर्ज माफ होना है, लेकिन अनुपूरक बजट में केवल 5 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान है। मुख्यमंत्री रहते मैंने इसी वर्ष चार माह में फसल बीमा योजना के 52 सौ करोड़ और एक वर्ष में 32,700 करोड़ रूपये किसानों के खाते में डलवाए। मप्र सरकार स्पष्ट करे कि 5 हजार करोड़ रुपये कितने लोगों को, कब दिए जाएंगे। 15 से 22 जनवरी तक फॉर्म भरवाए जाएंगे, किसी के खाते में पैसा नहीं आएगा। इतनी जटिलताएं पैदा कर दी गई हैं कि कई किसान अपात्र हो जाएंगे। कर्जमाफी को मुश्किल बना रही प्रक्रिया क्यों अपना रही, कांग्रेस बताए।

सीधे किसान के खाते में पैसा डालो

उन्होंने कहा है लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिये कर्जमाफी का अधिक प्रचार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि 22 फरवरी से पैसा खाते में आएगा। मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि फरवरी के अंत या मार्च के पहले सप्ताह में आचार संहिता लग जाएगी, फिर किसान के खाते में पैसा कैसे आएगा?| मैं सीधे-सीधे कहना चाहता हूं, कोई आवेदन या फॉर्म भराने की जरूरत नहीं है। ऑन रिकॉर्ड है राष्ट्रीयकृत बैंकों की किस शाखा का कितने किसानों पर कितना बकाया है। सहकारी बैंकों के आंकड़े भी हैं, तो इधर-उधर की बात क्यों कर रहे हो? सीधे किसान के खाते में पैसा डालो। बैंकों को पैसा दे दो।

शिवराज ने कहा कि कर्जमाफी के मुद्दे पर किसानों को उलझाया जा रहा है, इसलिए प्रदेश सरकार से मांग करता हूं कि सीधे किसान के खाते में या बैंकों में पैसा डालकर इस कर्जमाफी को अंजाम दिया जाए, इधर-उधर की बातें न करें। जब मैं मुख्यमंत्री था, बीजेपी की सरकार थी, तो कांग्रेस ने कहा था कि किसानों को उपज का सही मूल्य देने के लिए मंडी में जिस भाव बिका उसके अलावा सोयाबीन पर 500 रुपए प्रति क्विंटल देंगे, मक्का पर हम 500 रुपए प्रति क्विंटल देंगे। उड़द समर्थन मूल्य से नीचे बिकेगा तो उसमें पैसे देने का हमने वचन दिया था। केवल वचन ही नहीं प्रावधान भी किया था। इतना ही नहीं गेहूं 2100 रुपए प्रति क्विंटल खरीदेंगे। आलू, प्याज, लहसुन हो हमने सभी फसलों पर तय किया था कि बोनस देकर हम किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाएंगे।

सिर्फ वोट लेना चाहती है कांग्रेस 

कांग्रेस भावांतर में भी केवल 1500 करोड़ रुपए की बात कह रही है, जबकि हमने तो अकेले 1700 करोड़ रुपया गेहूं का बांट दिया था और अब 2100 रुपए प्रति क्विंटल में कांग्रेस को गेहूं खरीदना है तो आनाकानी कर रही है। गेहूं के लिए बजट का इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि आचार संहिता मई तक लग जाएगी, फिर बरसात आ जाएगी, तो गेहूं कब खरीदेंगे। गन्ना किसान परेशान हैं। आज ही भोपाल में प्रदर्शन किया है, उन्हें कम से कम 50 रुपए प्रति क्विंटल देना चाहिए। मैंने गन्ना की फसल पर भी बोनस देने का फैसला किया था। किसानों को ठीक दाम देने के लिए भावांतर योजना के लिए पर्याप्त प्रावधान अनुपूरक बजट में किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया है। इससे नीयत जाहिर होती है कि किसान को कुछ देना नहीं था, सिर्फ वोट लेना था और अब ऐसे ही बहकाकर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी वोट लेना चाहती है।


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