भोपाल। प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हो चुकी भाजपा अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी की कोशिश हर हाल में मौजूदा लोकसभा सीटों को बचाने की होगी। इसके लिए पार्टी हाईकमान एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का उपयोग करेगी। यानी लोकसभा में भाजपा शिवराज के चेहरे पर ही मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट मांगेगी। पार्टी हाईकमान से संकेत मिलने के बाद पिछले कुछ दिनों से शिवराज ने दौरे तेज कर दिए हैं। साथ ही संगठन के कार्यों में सक्रियता बढ़ा दी है।
भाजपा हाईकमान के सामने मप्र विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा में यह तथ्य सामने आए कि इसके लिए शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है। चुनाव से पहले मप्र भाजपा के नेताओं के बीच आपसी टकराव की स्थिति बन गई थी, यही वजह रही कि भाजपा को मामूलों सीटों के अंतर से सत्ता से बाहर होना पड़ा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से मप्र में लोकसभा चुनाव के लिए सर्वे कराया है, साथ ही टिकट चयन एवं मौजूदा सांसदों की लोकप्रियता एवं क्षेत्र में उनकी छवि का भी सर्वे कराया गया है। जिसके आधार पर उनके टिकटों का फैसला होना है। खास बात यह है कि हाईकमान की नजर में शिवराज सिंह चौहान अभी भी मप्र में सबसे लोकप्रिय नेता हैं। शाह की रिपोर्ट में भी शिवराज की छवि का जिक्र किया गया है। ऐसे में पार्टी हाईकमान लोकसभा चुनाव में शिवराज को किनारे करने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान को अभी तक किसी अन्य राज्य का दायित्व नहीं सौंपा गया है, न ही हाईकमान ने इसके संकेत दिए हैं। पिछले कुछ दिनों के भीतर शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह से सक्रियता बढ़ाई है, उससे भाजपा में उनके विरोधी खेमे में खलबली मच गई है। भाजपा से जुड़े दिल्ली सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों शिवराज सिंह चौहान में हाईकमान से लंबी चर्चा हुई है। इसके बाद से शिवराज ने मप्र में फिर से जनता के बीच सक्रियता बढ़ा दी है।
लोकसभा चुनाव में शिवराज की रहेगी अहम भूमिका
अगले लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की अहम भूमिका रहने वाली है। क्योंकि मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह जबलपुर से खुद चुनाव लड़ेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि वे चुनाव की तैयारियों की वजह से हाईकमान के सामने इस्तीफे की पेशकश भी कर चुके हैं। लेकिन हाईकमान ने फिलहाल इस पर विचार नहीं किया। मप्र भाजपा के दूसरे बड़े नेता नरेन्द्र सिंह तोमर भी चुनाव लड़ेंगे। वे भी चुनाव के दौरान अपने क्षेत्र पर ही ज्यादा ध्यान देंगे। ऐसी स्थिति में शिवराज सिंह चौहान ही लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। खास बात यह है कि पार्टी हाईकमान की ओर से तैनात किए गए लोकसभा प्रभारी, सह प्रभारी एवं अन्य पदाधिकारियों को भी शिवराज सिंह चौहान से तालमेल करने को कहा गया है।
विधानसभा में फ्लॉप हो चुके मोदी-शाह
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया था। सत्ता में होने की वजह से भाजपा दोनों नेताओं की सभाओं में पहले की तरह भीड़ नहीं जुटा पाई। कुछ सभाएं ऐसी भी हुई जिनमें प्रधानमंत्री भाषण देते रहे और जनता बीच में ही निकल गई। यानी मप्र में अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता तेजी से कम हुई है। यही वजह है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की छवि का भरपूर उपयोग करना चाह रही है। चूंकि मप्र में अब भाजपा की सरकार नहीं है, ऐसे में मोदी की सभा में पहले की तरह भीड़ जुटाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।
गुटबाजी की वजह से हारी भी भाजपा!
विधानसभा चुनाव के नतीजों के पौने दो महीने बाद भाजपा हाईकमान को यह ज्ञात हो चुका है कि मप्र भाजपा को कांग्रेस ने नहीं हराया है, बल्कि मप्र भाजपा के नेताओं की आपसी मनमुटाव की वजह से हारी है। जिसमें ग्वालियर,चंबल, बुंदेलखंड, मालवा-निमाड़, मध्य-भारत क्षेत्र की ऐसी सीटों का आंकलन किया गया है, जहां खराब रिपोर्ट के बावजूद भी गलत चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा गया था। दरअसल, मप्र भाजपा का शिवराज विरोधी खेमा नहीं चाहता था कि पिछले चुनावों की तरह मप्र में बहुमत से सरकार बनाए, इन नेताओं की इच्छा शिवराज सिंह चौहान को पटकनी देने के लिए बहुमत के करीब भाजपा की सीटों आने की थी, लेकिन इस गफलत में भाजपा की सरकार ही चली गई। केंद्रीय भाजपा की बैठकों में भी इस मसले पर चर्चा हो चुकी है। चूंकि लोकसभा चुनाव नजदीक है, इसी वजह से हाईकमान ने किसी भी नेता से किसी तरह का स्पष्टीकरा नहीं मांगा है। संभवत: अगले चुनाव में इन नेताओं को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।