भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लागू की गई संबल योजना अब बिजली कंपनी के लिए मुसीबत बन गई है। पूर्व सरकार ने चुनावी लाभ लेने के लिए इस योजना को लागू किया था। प्रदेश के गरीब तबके के लिए पूर्व सरकार ने ये योजना लागू की थी। इसके तहत लाखों के बकाया बिल किसानों और अन्य गरीब परिवार के माफ किए गए थे। 30 लाख से अधिक लोगों को इस योजना का लाभ मिला था। इस योजना में आने वाले परिवार को सिर्फ 200 रुपए महीने का बिल देना होता है।
चुनाव संपन्न होने के बाद अब ये योजना नई सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है। दरअसल, इस योजना का लाभ लेने के लिए अक्टूबर 2018 तक 60 लाख उपभोक्ता रजिस्टर्ड थे। 200 रुपए महीने के हीसाब से इन उपभोक्ताओं पर 102 करोड़ रुपए अक्टूबर तक बकाया था, इनमें से बिजली कंपनी द्सिवारा सिर्फ 49 करोड़ या फिर 48 फीसदी बिल बकाया ही रिकवर किया जा सका है। जबकि 52 फीसदी ने बिल नहीं भरा है। जुलाई में 42 लाख उपभोक्ता इस योजना में रजिस्टर्ड हुए थे। महीनों से साथ बकाया बिल की राशी भी बढ़ गई।
चौहान ने जून 2018 में दो योजनाएं लागू करने की घोषणा की थी। पहली मुख्यमंत्री बकाया बिल माफी योजना 2018 और सरल बिजली बिल योजना ( गरीब वर्ग के लिए 200 रुपए महीना बिजली देने का वादा) दोनों योजनाएं एक जुलाई 2018 से लागू की गईं। जुलाई का बकाया 47 करोड़ का भुगतान होना था लेकिन इसमें से सिर्फ 25 करोड़ ही जमा हुए हैं। ऐसा ही अगस्त में भी हुआ 50 फीसदी उपभोक्ताओं ने भुगतान किया जबकि सितंबर में भी 52 फीसदी ने ही बिल भरा।
सूत्रों के मुताबिक बिजली उपभोक्ता अब बिल भरना नहीं चाहते। जबकि इस योजना के तहत उनका बिल सिर्फ 200 रुपए ही भेजा जा रहा है। इससे बिलजी कंपनी डिस्कॉम को करोड़ों का चूना लग रहा है। योजना लागू होने से पहले सिर्फ 60 फीसदी उपभोक्ता ही बिजली बिल का भुगतान कर रहे थे। लेकिन योजना लागू होने के बाद भी कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। इससे कोई खास प्रभाव नहीं दिखाई देता कि सरकार और बिजली कंपनी किस दर पर बिजली दे रही है उपभोक्ता बिल भुगतान में अभी भी पीछे हैं। लेकिन पूर्व सरकार द्वारा इस योजना के लागू करने से 700 करोड़ का अतिरिक्त भार बीते पांच महीने में बढ़ा है।