भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश में 73 साल बाद दक्षिण अफ्रीकी चीता (South African Cheetah) लाए जाएंगे। जहां मध्य प्रदेश में दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने का रास्ता साफ हो गया है। वन विभाग को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) का सहमति पत्र मिल गया है। जहां श्योपुर जिले के कूनो पालपुर अभ्यारण्य (Kuno Palpur Sanctuary) में विशेष बाड़े का निर्माण कार्य को अगस्त माह तक पूरा करने की समय सीमा दी गई है। जहां नवंबर माह के अंत तक दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से चीता लाए जाएंगे।
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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश चीता लाए जाने की प्रोजेक्ट पर अपनी सहमति दे दी है। जिसके लिए टाइमलाइन जारी की गई है। पहले चरण में नवंबर माह के अंत तक 14 चीते लाए जाएंगे। इन्हें कूनो पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा। इसके लिए तैयारियां करने भारत सरकार 14 करोड़ रुपए देगी। बताया जाता है कि 1947 में सरगुजा महाराज रामानुशरण सिंह के साथ ली गई तस्वीर आखिरी थी। वर्ष 1952 से चीता को देश में विलुप्त जीव घोषित कर दिया गया था।
मध्यप्रदेश का ‘कूनो’ चीतों के लिए बेहतर
मध्य प्रदेश में चीता लाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पहले अनुमति मिल चुकी है। दरअसल गुजरात के गिर अभ्यारण से एशियाटिक लायन ना मिलने की स्थिति में भारत सरकार ने वर्ष 2010 में कूनो में चीता बसाने की योजना बनाई थी। हालांकि इसके खिलाफ एक याचिका दायर होने के कारण कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। सुनवाई पूरी होने के बाद जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूरी देते हुए साधिकार समिति की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञ कूनो को चीता के लिए पहले ही बेहतर स्थान मान चुके हैं। दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ भी कूनो में 2 दिन रुक कर पूरी व्यवस्था देख चुके हैं। उन्होंने भी चीतों के लिए इस स्थान को बेहतर माना है।
नवंबर तक आ जाएंगे चीते
मध्य प्रदेश के श्योपुर के पास स्थित कूनो पालपुर अभ्यारण में दक्षिण अफ्रीकी चीता की दहाड़ सुनाई देगी। कूनो में सीटों के लिए विशेष बाड़े का निर्माण अगस्त तक पूरा करना होगा। जिसको लेकर एनटीसीए जून माह के आखिर तक जरूरी इंतजामों के लिए राशि जारी करेगा। एनटीसीए जून और जुलाई माह में निरीक्षण करेगी और और ट्रेनिंग देगी। 14 चीता लाने के लिए जुलाई माह तक आयात शुल्क जमा कर परमिट लिया जाएगा। जुलाई माह तक टेलिमेट्री उपकरण खरीदे जाएंगे। सितंबर और अक्टूबर माह में दक्षिण अफ्रीका जाकर चीता लाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस दौरान लाए जाने वाले चीतों का टीकाकरण किया जाएगा। जुलाई में चीता लाने के लिए पिंजरे खरीदे जाएंगे और नवंबर माह में चीतों का अंतरराष्ट्रीय परिवहन होगा।