MP School : 1 से कक्षा 8वीं के छात्रों को लेकर बड़ा फैसला- अब ऐसे होगी पढ़ाई

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के स्कूल शिक्षा विभाग के फैसले के अनुसार (School Education Department)  कक्षा 1 से 8वीं (Class 1st to 8th) तक के छात्रों (Student) का नया सत्र 1 अप्रैल 2021 से शुरु (School Reopen) किया जाएगा।लेकिन इससे पहले राज्य शिक्षा केंद्र (State Education Center) ने छात्रों की पढ़ाई (Study) को लेकर एक नया कार्यक्रम तैयार किया है, जिसके तहत सरकारी स्कूल (Government School) के छात्रों को पारंपरिक खिलौनों के माध्यम से पढ़ना और लिखना सिखाया जाएगा। पहले यह प्रदेश के तीन जिलों में लागू किया जाएगा और फिर अन्य जिलों में इसकी शुरुआत की जाएगी।

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दरअसल, कोरोना के चलते पिछले एक साल से कक्षा 1 से कक्षा 8वीं तक के स्कूल बंद है, जिसके चलते छात्रों का बहुत नुकसान हो गया है, हालांकि दूरदर्शन (Doordarshan)और ऑनलाइन क्लासेस (Online Class) के जरिए छात्रों की पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन इसमें भी कई छात्र इलेक्टॉनिक गैजेट्स और सुविधाएं ना होने के चलते वंचित रह गए। लेकिन अब अप्रैल से स्कूल दोबारा से खुलने जा रहे है, ऐसे में राज्य शिक्षा केंद्र ने छात्रों को गणित, हिन्दी, अंग्रेजी और खास करके विज्ञान पढ़ाने और सीखने के लिए  पारंपरिक खिलौनों (Toys) का सहारा लेने जा रहा है।

इसके अंतर्गत गिन तारा स्लेट, लट्टू, माचिस की डिब्बी, लकड़ी की बैलगाड़ी, गिल्ली-डंडा और मिट्टी के खिलौनों के माध्यम से छात्रों को गिनती, पहाड़ा, जोड़ना-घटाना व सामान्य ज्ञान तो सिखाया ही जाएगा, लेकिन नृत्य-गायन, अभिनय और खेल के माध्यम से भी हिन्दी (Hindi0, अंग्रेजी (English) और सामाजिक विज्ञान (Social Scince) जैसे विषयों पर भी जोर दिया जाएगा।

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इसके पीछे स्कूल शिक्षा विभाग और MP सरकार का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार के साथ साथ सरकारी स्कूल के छात्रों में पढ़ाई को लेकर रुचि पैदा करना है।चुंकी अक्सर देखने को मिलता है कि सरकारी स्कूल में बच्चों का अभिभावकों द्वारा दाखिला तो करवाया दिया जाता है, लेकिन वे खेलने के चलते स्कूल (School) नही जाते है, इसीलिए अब स्कूल में ही खेल को शुरु किया जा रहा है, ताकी बच्चे ज्यादा से ज्यादा स्कूल आए और खेल खेल में पढ़ना लिखना भी सीखें। खास बात ये है कि इसके पूरे कार्यक्रम के लिए बकायदा ट्रेनर भी रखे जाएंगे जो शिक्षकों (Teacher) को प्रशिक्षण देंगी।

बता दे कि इसके पहले भी छात्रों के हित में कई फैसले लिए जा चुके है। जैसे जनरल प्रमोशन (General promotion), सिलेबस कटौती, दूरदर्शन से पढाई, ऑनलाइन क्लासेस, होममेड असाइनमेंट (Homemade assignment) और स्कूल फीस आदि।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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