स्पीकर की वोटिंग के पहले विधायकों को फोन कर लालच दे रही बीजेपी : गोविंद सिंह

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भोपाल।

विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन है और भाजपा द्वारा प्रत्याशी खड़ा किए जाने के बाद स्पीकर की वोटिंग होना है।इसके पहले संसदीय कार्य मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने बड़ा बयान दिया है। सिंह ने कहा है कि  बीजेपी ने पुरानी परंपराओं को तोड़कर अध्यक्ष के विरुद्ध अपना प्रत्याशी खड़ा किया है। और अब वोटिंग के लिए विधायकों को लालच दे रही है।लेकिन विधायकों ने बीजेपी की मांग को ठुकरा दिया है। अध्यक्ष के लिए जिसने पहले प्रस्ताव दिया है उसकी सुनवाई पहले होगी। सदस्यों के हस्ताक्षर के बाद वोटिंग होगी ।

वही उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि विधायकों को तोड़ने और लालच देने का काम बीजेपी ने किया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने बीएसपी के विधायक और कांग्रेस के विधायकों से संपर्क किया है। आज सुबह सुबह बीजेपी के अध्यक्ष ने बसपा विधायको से फ़ोन पर बात की, लेकिन विधायको ने बीजेपी की पेशकश को लौटा दी। 5 विधायको से राकेश सिंह ने बात की उसमें काँग्रेस – बसपा के विधायक थे।  वोटिंग के लिए विधायकों को लालच दिया गया, जो की गलत है।  इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर विधायकों को सौ-सौ करोड़ का लालच देने के आरोप लगाए थे। 

गुप्त वोटिंग नियम के विरुद्ध

सिंह ने कहा कि बीजेपी बस ये साबित करना चाहती है कि हमारे पास बहुमत नहीं।बीजेपी की गुप्त वोटिंग की मांग गैरकानूनी है। बीजेपी सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, इसलिए गुप्त वोटिंग के विरुद्ध ओपन वोटिंग करने की काँग्रेस की मांग करती है। बीजेपी की गुप्त मतदान की मांग नियम में ही नहीं है। संविधान की किताब में लिखा है चुनाव वोटिंग के द्वारा अध्यक्ष की प्रक्रिया बंद कर दी गई है। विधानसभा का चुनाव संसदीय परंपराओं के अनुरूप होगा। राज्यसभा चुनाव में भी गुप्त मतदान को बन्द कर ओपन वोटिंग की शुरुआत की गयी है।खरीद फरोख्त रोकने के लिए ही इस तरह की नीति अपनाई जा रही है।

नियम के अनुसार, सरकार बनाने के बाद सत्तापक्ष के पास विधानसभा अध्यक्ष का पद और विपक्ष के पास उपाध्यक्ष का पद होता है।चुंकी इस बार किसी भी सरकार को बहुमत नही मिला है, जिसके चलते बीजेपी ने पंरपंराओं के विरुद्ध जाकर अपना उम्मीदवार विधानसभा अध्यक्ष के लिए उतारा है।वही संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस अब भाजपा को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं देगी।ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की परंपरा को तोड़कर चुनाव करवा सकती है। निर्विरोध अध्यक्ष नहीं बनने की स्थिति में कांग्रेस विधानसभा उपाध्यक्ष का विपक्ष को दिया जाने वाला पद अपने या अपने सहयोगी दल या निर्दलीय विधायकों को दे सकती है। 

गौरतलब है कि की कांग्रेस सरकार का पहला शक्ति परीक्षण मंगलवार को स्पीकर के चुनाव में होगा। कांग्रेस ने एनपी प्रजापति और भाजपा ने विजय शाह को मैदान में उतारा है। भाजपा में विजय शाह को जिताने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने संभाल रखी है। भाजपा विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के असंतुष्ट, छोटे दलों के विधायकों से संपर्क के प्रयास किए जा रहे हैं। वही यशोधरा राजे सिंधिया ने विधानसभा को एक सप्ताह के अवकाश की सूचना दी थी, लेकिन उन्हें हर हाल में मंगलवार को विधानसभा में उपस्थित रहने को कहा गया है।


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