भोपाल। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की कई सीटों पर चुनाव सिर्फ हार जीत के लिए नहीं बल्की अंतर के वर्चस्व के लिए भी होता है। प्रदेश की कई सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का लंबे समय से कब्जा रहा है। ऐसे में विरोधी एक दूसरे का किला भेदने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ऐसी ही सीट है रीवा, बैतूल, टीकमगढ़। यहां बीजेपी का लंबे समय से वर्चस्व है। उम्मीदवार इन सीटों पर जीते के लिए नहीं अपना जीत का अंतर बढ़ाने के वर्चस्व के लिए चुनाव लड़ते हैं।
दरअसल, प्रदेश में दूसरे चरण का चुनाव 6 मई को चुनाव होना है। ऐसे में इन तीन सीटों पर भी कांग्रेस और बीजेपी में कड़ा मुकाबला है। रीवा लोकसभा की बात की जाए तो यहां पर चुनाव विकास के मुद्दे पर नहीं बल्की जातीवाद पर लड़ा जाता रहा है। इस सीट पर ब्राह्मण समाज निर्णायक भूमिका में रहता है। लेकिन यहं बपसा का भी काफी दबदबा है। बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद जनार्दन मिश्रा को फिर मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ यहां से सिद्धार्थ तिवारी को उतारा है। दोनों ही ब्राह्मण समाज से आते हैं। मोदी लहर में मिश्रा को इस सीट से 383,320 लाख वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी को 214,594 लाख और बसपा प्रत्याशी देवराज पटेल को 175,567 लाख वोट मिले थे। इस सीट पर 2004 में बीजेपी का कब्जा था लेकिन 2009 में यहां से बीएसपी की जीत हुई थी। फिर 2014 बीजेपी ने इस सीट पर वापस कमबैक किया। कांग्रेस इस सीट पर खाली हाथ ही रही है। इस बार कांग्रेस को काफी उम्मीद है।