अदरक की चाय ही नहीं बर्फी भी होती है बेहद गुणकारी, सर्दियों में होगा शरीर को लाभ।

Gaurav Sharma
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हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। सर्दियों की ठंडी शाम को अदरक वाली गर्मागर्म चाय की चुस्कियां लगाने का मौका मिल जाए तो बात ही क्या है। अदरक चाय के साथ मिलकर जितनी फायदेमंद होती है उतनी ही लाभदायक उसकी बर्फी भी होती है। सुनकर आप हैरान हो सकते हैं कि तीखी सी लगने वाली अदरक की मीठी सी बर्फी कैसे बन सकती है?

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आप ये जानकर हैरान होंगे कि हमारे बड़े बुजुर्ग सर्दियों में अपना बॉडी टेम्प्रेचर बरकरार रखने के लिए अदरक की बर्फी और इसी तरह की अन्य चीजों का भरपूर सेवन करते थे, ताकि मौसम उन पर हावी न हो।

आइए जानें अदरक की बर्फी की रेसिपी पर पहले अदरक कुछ फायदे भी जान लीजिए।

अदरक के फायदे

अदरक के औषधीय गुणों को नकारा नहीं जा सकता। सर्दी ,खांसी होने पर अदरक की चाय या फिर शहद में अदरक का रस मिलाकर पीने से काफी आराम मिलता है। अदरक में कई एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाते हैं। ये बैड कोलेस्ट्रोल पर भी कंट्रोल रखता है। यही वजह है कि अदरक सर्दियों के मौसम में काफी गुणकारी है।

बर्फी बनाने के लिए जरूरी सामान

1.अदरक

2.शक्कर

3.घी

4.दूध

5.इलायची

बनाने की विधि

अदरक को अच्छे से छील कर उसे धो लें। इसके बाद उसके थोड़े बड़े बड़े पीस काट लें। दूध के साथ इस अदरक को मिक्सर में डालकर पीस लें। अदरक को बारीक पीस लें पेस्ट की तरह। ध्यान रहे कि अदरक के रेशों को हटाना नहीं हैं, क्योंकि, इसके फाइबर्स भी फायदेमंद हैं।

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अब एक पैन लें, उसे गर्म कर उसमें घी डालें, घी गर्म होने पर अदरक का पेस्ट डालें और चलाते रहें। पेस्ट गाढ़ा होने लगे तब उसमें शक्कर मिला लें। इसके बाद लगातार पेस्ट को चलाते रहें, ये ध्यान रखें कि पेस्ट जैसे जैसे गाढ़ा होगा उसके जलने या पैन की सतह पर चपकने की गुंजाइश उतनी ही ज्यादा होगी, इसलिए पेस्ट को चलाने में लापरवाही बिलकुल न करें। जब शक्कर पूरी तरह घुल जाए तब इलायची पाउडर डाल दें और पेस्ट को सिकने दें। जब पेस्ट की कंसिसटेंसी जमने लायक लगे तब गैस बंद कर दें। एक प्लेट मे बटर पेपर लगाएं या फिर घी से ग्रीस करें इस प्लेट में पेस्ट को अच्छे से फैला देंं। मिश्रण ठंडा हो जाए तब उसे बर्फी के आकार में काट कर अलग अलग कर लें।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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