Erotomania a delusional disorder : फरवरी यानी प्यार का महीना। इस महीने जैसे हवाओं में ही प्यार की खुशबू घुली रहती है। वैलेंटाइन वीक का सभी को बेसब्री से इंतजार होता है। लेकिन इसी बीच हमें ये याद रखना भी जरुरी है कि प्यार को कई लोग रोग, बीमारी या नशा भी कहते हैं। हालांकि ये बात कई अलग अलग अर्थों में कही जाती है लेकिन आज हम प्यार से जुड़ी एक कंडीशन या मानसिक समस्या के बारे में बात करेंगे।
क्या है इरोटोमेनिया!
हम बात कर रहे हैं इरोटोमेनिया की। ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को ये भ्रम हो जाता है कि उसे कोई अनजान व्यक्ति प्यार करता है। अक्सर लोगों को ये भ्रम अपने से हायर अथॉरिटी वाले या मशहूर शख्स को लेकर होता है। इसमें कोई फिल्म अभिनेता या अभिनेत्री, खिलाड़ी, कलाकार या अन्य सेलिब्रिटी शामिल हो सकता है। इरोटोमेनिया भ्रम संबंधी विकार का एक असामान्य रूप है जिसमें एक व्यक्ति को यह निराधार विश्वास होता है कि वो व्यक्ति उससे प्यार करता है।
प्यार का भ्रम
इरोटोमेनिया से पीड़ित व्यक्ति को यह भ्रमपूर्ण विश्वास होता है कि कोई अन्य व्यक्ति उससे प्यार करता है। व्यक्ति के प्यार का भ्रम अक्सर किसी सेलिब्रिटी या उच्च सामाजिक स्थिति वाले व्यक्ति से होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को ये विश्वास हो सकता है कि सामने वाला शख्स गुप्त संदेशों का उपयोग करके उनके साथ संवाद कर रहा है और उनके प्यार की पुष्टि कर रहा है। इसके बाद वो सामने वाले शख्स की स्टॉकिंग शुरु कर देता है। इस काल्पनिक रिश्ते को वो सच मानने लगता है और कई बार वो सामने वाले को चिट्ठी लिखता है या मिलने की कोशिश भी करने लगता है।
अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति से जुड़ी हो सकती है समस्या
इरोटोमेनिया एक दुर्लभ मानसिक अवस्था और भ्रम का एक असामान्य रूप है। प्रभावित व्यक्ति का दृढ़ विश्वास है कि कोई अन्य व्यक्ति उससे प्यार करता है। यह अपने आप भी हो सकती है. लेकिन यह आमतौर पर किसी अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थिति या समस्या से जुड़ी होती है जैसे सिज़ोफ्रेनिया, अल्जाइमर या बाइपोलर डिसऑर्डर। ये समस्या हफ्तों से लेकर की सालों तक चल सकती है। इरोटोमेनिया अचानक शुरू हो सकता है और इसके लक्षण अक्सर लंबे समय तक बने रहते हैं। इरोटोमेनिया को फ्रांसीसी मनोचिकित्सक के नाम पर डी क्लेरंबोल्ट सिंड्रोम भी कहा जाता है, जिन्होंने पहली बार 1921 में इसे एक विशिष्ट विकार के रूप में वर्णित किया था।
चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें
रिपोर्ट्स से पता चला है कि सोशल मीडिया नेटवर्क इरोटोमेनिया से जुड़ी भ्रमपूर्ण मान्यताओं को बढ़ा सकते हैं, यहां तक कि उन्हें ट्रिगर भी कर सकते हैं। सोशल मीडिया अनजान लोगों के बीच की कुछ बाधाओं को खत्म कर देता है और इसका उपयोग आसानी से उन लोगों को देखने, संपर्क करने, पीछा करने और परेशान करने के लिए भी किया जा सकता है जो पहले पूरी तरह से पहुंच से बाहर थे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गोपनीयता को कम कर सकते हैं, जिससे पीछा करना बहुत आसान हो सकता है। कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि भ्रम अत्यधिक तनाव या आघात के प्रबंधन के एक तरीके के रूप में विकसित हो सकता है। आनुवंशिकी भी भ्रम संबंधी विकारों के विकास में योगदान कर सकती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को सही उपचार और काउंसलिंग मिले तो वो बीमारी से मुक्त हो सकता है। इसलिए जरुरी है कि इस समस्या का पता चलते ही या लक्षण नजर आते ही किसी मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ की सलाह ली जाए।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। इस समस्या के बारे में सटीक जानकारी और निवारण के लिए विशेषज्ञ की सलाह अपेक्षित है।)