मां बनने के बाद दीपिका पादुकोण भी हुई बर्नआउट की शिकार, जानें इसे ओवरकम करने के तरीके

मां बनने के बाद दीपिका पादुकोण भी बर्नआउट की शिकार हो गई हैं। उन्होंने नींद की कमी और थकावट के चलते निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ने वाले असर के बारे में बात की।

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Health: दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की बेहतरीन और सबसे सफल अभिनेत्री में गिनी जाती है। इन दिनों अपने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को लेकर काफी चर्चाओं में बनी हुई है। उन्होंने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया है और अपनी मदर हुड जर्नी को पूरी तरह से एंजॉय कर रही है।

दीपिका सोशल मीडिया पर अपने अनुभव और मदर हुड से जुड़ी पोस्ट भी अक्सर शेयर करती नजर आती है। हाल ही में में दीपिका ने अपने मां बनने के बाद की मानसिक चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की है। जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे इस नई भूमिका में उन्हें कई तरह की भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि इस सफर में उन्हें खुद को समझने और संतुलित रहने के नए तरीके सीखने पड़ रहे हैं।

दीपिका की मदरहुड जर्नी

दीपिका पादुकोण ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया है, कि वह मां बनने के बाद बर्नआउट का सामना कर रही है। उन्होंने बताया कि नींद की कमी और थकावट का सीधा असर उनके निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ रहा है। एक्ट्रेस ने कहा जब आपको पर्याप्त नींद नहीं मिलती है या आप अत्यधिक थकान महसूस करते हैं, तो आपके फैसले प्रभावित होते हैं।

‘ मैं इसे अपने जीवन में महसूस कर रही हूं, मेरी नींद पूरी नहीं हो रही है और अगर मैने अपनी देखभाल नहीं की तो उसका असर मेरे निर्णय लेने की क्षमता पर पड़ेगा।’ दीपिका ने इस अनुभव को साझा करते हुए खुद की देखभाल के महत्व पर जोर दिया और इसे अपनी मदरहुड जर्नी का एक अहम हिस्सा बताया।

हर नई मां की आम समस्या

यह समस्या जिसे बर्नआउट कहा जाता है। इसे हर नई मां को गुजरना पड़ता है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक भावना है, जिससे हर नई मां कभी ना कभी जरूर गुजरती है। इस स्थिति में शारीरिक थकान, मानसिक तनाव और नींद की कमी जैसी समस्याएं उभर कर आती है।

पोस्टपार्टम बर्नआउट के लक्षण

1. छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना या फिर बिना वजह चिड़चिड़ा महसूस करना।

2. मानसिक और शारीरिक रूप से लगातार थकान का अनुभव करना।

3. रोजमर्रा के कामों में मन ना लगना या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।

4. रिश्तों में अलगाव महसूस करना। खासकर अपने जीवनसाथी के साथ बातचीत या समय बिताने की रुचि खत्म होना।
परिवार के अन्य सदस्यों से भी दूरी बढ़ती हुई महसूस होना।

5. पहले जिन गतिविधियों से खुशी मिलती थी उनमें अब कोई दिलचस्पी ना रहना। आत्म प्रेरणा की कमी होना और कुछ भी करने में मन ना लगना।

बर्नआउट से कैसे पाएं निजात

1. परिवार और दोस्तों से मदद लें, जरूरत पड़ने पर अपनों से सहयोग मांगने में संकोच न करें। न्यू पेरेंट्स ग्रुप का हिस्सा बने जहां आप अपने अनुभव साझा कर सके और दूसरी माताओं से सलाह ले सकें।

2. अच्छी और नियमित नींद लेना बेहद जरूरी है। नींद की कमी से मानसिक और शारीरिक थकान बढ़ सकती है। इसलिए हर संभव प्रयास करें कि आप पर्याप्त आराम कर सकें।

3. अपने खाने में पोषक तत्वों का ध्यान रखें। हरी सब्जियां और प्रोटीन से भरपूर आहार न सिर्फ आपके शरीर को बल्कि आपके मन को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।

4. नियमित रूप से ध्यान करना मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह तनाव को कम करता है और आपको तरोताजा महसूस करता है।

5. प्रकृति के बीच समय बिताना, ताजी हवा में सांस लेना और हरियाली के साथ समय बिताना तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

6. डीप ब्रीदिंग, योग या अन्य रिलैक्सेशन तकनीक का अभ्यास करें। यह आपके मूड को सुधारने और मानसिक थकान में छुटकारा पाने में मदद करेगा।

7. नियमित शारीरिक व्यायाम से न सिर्फ आपका शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। बल्कि इससे आपका मूड में भी सुधार आता है और तनाव कम होता है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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