रात में मोबाइल को सिरहाने रखना पड़ सकता है भारी, जानें इसके खतरनाक नुकसान

Health: रात में मोबाइल को सिरहाने रखकर सोना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन सिर दर्द, नींद में खलल और आंखों पर बुरा असर डाल सकती है।

भावना चौबे
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Health: मोबाइल फोन आजकल हमारी जिंदगी का बहुत ही जरूरी हिस्सा बन चुका है। बच्चों से लेकर बड़े लोग सभी इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में कई लोग रात में सोते समय अपने पास मोबाइल रख कर सोते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत सेहत के लिए कितनी ज्यादा खतरनाक हो सकती है।

मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन और नीली रोशनी हमारी नींद को बाधित करती है, आंखों की रोशनी कम करती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकती है। इसलिए सभी को यह सलाह दी जाती है कि सोने के दौरान मोबाइल फोन को अपने तकिए के पास बिलकुल न रखें। दूरी पर रखें या फिर पूरी तरह से बंद करें।

रेडिएशन सेहत के लिए खतरनाक (Dangerous Radiation)

मोबाइल से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन हमारे सेहत के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है। जब हम लगातार इस रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती है। जैसे सर दर्द, चक्कर आना और आंखों में दर्द। इतना ही नहीं कुछ रिसर्च से पता चला है कि मोबाइल रेडिएशन नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, तनाव बढ़ा सकती है और यहां तक की गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ा सकती है।

ब्रेन ट्यूमर का खतरा (Brain Tumor)

जब हम मोबाइल फोन को अपने कान के पास रखकर बात करते हैं या इसे अपनी जेब में रखते हैं तो यह रेडिएशन धीरे-धीरे हमारे दिमाग तक पहुंचती है। कई रिसर्च के अनुसार लंबे समय तक मोबाइल रेडिएशन के संपर्क में रहने से ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। इसलिए कम से कम सोते समय फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और फोन को अपने नजदीक नहीं रखना चाहिए।

नींद पर बुरा असर (Bad effect on sleep)

जब भी हम फोन को पास में रखकर सोते हैं, तो हम लगातार सूचनाओं, नोटिफिकेशंस और मैसेज से घिरे रहते हैं। यह हमें बार-बार जागने पर मजबूर करता है इस वजह से सोने की गुणवत्ता खराब हो जाती है। सोते समय फोन की रोशनी भी आंखों के लिए हानिकारक होती है और नींद के पैटर्न को पूरी तरह बिगाड़ सकती है।

अनिद्रा का खतरा (Risk of insomnia)

मोबाइल फोन से निकलने वाली रोशनी हमारे लिए बहुत ही खतरनाक होती है। यह नीली रोशनी हमारे शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है। मेलाटोनिन को नींद का हार्मोन भी कहा जाता है जो हमारे शरीर को नींद के लिए तैयार करता है। जब नीली रोशनी के कारण मेलाटोनिन का उत्पादन कम होता है तो नींद का चक्र बिगड़ जाता है जिस वजह से अनिद्रा की शिकायत होती है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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