इस वजह से बच्चों में दिखाई देता है भेंगापन, जानें कैसे करें सही पहचान और इलाज

Health: बच्चों में भेंगापन एक आम समस्या है, इसके कई कारण हो सकते हैं। भेंगापन आंखों के ठीक से काम न करने का संकेत है इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

भावना चौबे
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Health: बच्चों में भेंगापन एक आम समस्या है, जिसका समय पर पता लगाना और इलाज करवाना बहुत ही आवश्यक है। यह स्थिति तब होती है जब बच्चे की आंखें सही तरह से एक साथ देखने में असमर्थ होती हैं। भेंगापन न केवल बच्चों की दृष्टि को प्रभावित करता है बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन पर भी असर डालता है।

आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए भेंगापन के सामान्य कारण लक्षण और उपचार ऑप्शन के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि कैसे माता-पिता अपने बच्चों में भेंगापन की समस्या को पहचान सकते हैं और समय पर डॉक्टर की सहायता ले सकते हैं।

मायोपिया (Myopia)

मायोपिया एक आम दृष्टिदोष है जो खासकर बच्चों में ज्यादा दिखाई देता है। इस स्थिति में बच्चों को दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में दिक्कत होती है। ऐसे में दूर की चीजों को साफ देखने के लिए अपनी आंखों पर अधिक जोर डालते हैं। यह समस्या आमतौर पर अनुवांशिक कारण या लगातार नजदीकी काम करने जैसे की किताबें पढ़ना या कंप्यूटर पर काम करना यह कारण होते हैं।

हाइपरोपिया (Hyperopia)

हाइपरोपिया एक आंखों की समस्या है जिससे आने वाली रोशनी रेटिना के पीछे फॉक्स होती है न की उसपर। इस कारण से बच्चे को पास की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में मुश्किल होती है। दूर की चीज देखने में उन्हें कम समस्या होती है। आंखों को पास की वस्तुओं पर फोकस करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है इसलिए बच्चे अक्सर आंखें भेंगी करके देखने लगते हैं।

पुरानी आदत (Habitual)

कुछ बच्चों में आंखों की किसी समस्या के ठीक होने के बाद भी भेंगा देखने की आदत लग जाती है। यह आदत आसानी से नहीं छुट्टी है और बच्चे लगातार आंखें भेंगी करके देखता रहता है। इसका यह कारण है कि जब बच्चे लंबे समय तक भेंगापन से पीड़ित रहते हैं, तो उनके मस्तिष्क आंखों के गलत संरेखण को सामान्य मान लेती है। इस वजह से भले ही आंखों की समस्या ठीक हो जाए लेकिन दिमाग पुराने पैटर्न पर ही काम करना जारी रखता है।

 


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भावना चौबे

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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