हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। ये साल का वो वक्त है जब एक के बाद एक उत्सव आते जाते हैं पहले गणेश चतुर्थी, उसके कुछ दिन बाद श्राद्ध पक्ष और उसके बाद तो जैसे त्योहारों की कड़ी सी बन जाती है। नवदुर्गा, दशहरा, करवाचौथ और दिवाली तक ये सिलसिला जारी रहता है।
इसी दौरान मीठा बनाना और मिठाइयां लाने का सिलसिला भी चल पड़ता है। मिठाइयों की डिमांड ज्यादा होती है इसलिए मिठाइयों में मिलावट की गुंजाइश भी बढ़ जाती है। संभव है कि इस वक्त पर आ जो मिठाई खरीदें उसमें भी कुछ मिलावट मौजूद हो।
घर पर आने वाली मिठाई में किसी भी किस्म की मिलावट हो सकती है। किसी मिठाई में फ्रेश दिखने के लिए मिलावट हो सकती है तो किसी मिठाई के दूध या मावे में मिलावट हो सकती है। इस मिलावट को आप कैसे पहचान सकते हैं ये जानने की कोशिश करते हैं।
काजू कतली अधिकांश लोगों की फेवरेट होती है तो कुछ लोग इस मिठाई को गिफ्ट करना भी काफी पसंद करते हैं। आपके घर खुद खरीद कर लाया गया या गिफ्ट में आया काजू कतली का डिब्बा असली मिठाई वाला है या नकली ये कैसे जानेंगे इसका बड़ा ही आसान तरीका है।
काजू कतली को तोड़कर उंगली के बीच रखें और मसलें. अगर आपको भुने काजू जैसी सौंधी महक आए तो समझिए काजू कतली असली है।
इसके चांदी के वर्क में भी मिलावट हो सकती है. उसे जांचने के लिए एक चम्मच पर सिल्वर वर्क को लें। इस स्पून को जलाएं अगर ये सिल्वर फॉइल होगी तो पिघलेगी और अगर एल्यूमीनियम होगा तो जल जाएगा।
गुलाब जामुन में मिलावट
अच्छे और टेस्टी गुलाबजामुन मावे से बनते हैं। मिलावट के तौर पर इसे सोयाबीन के आटे या स्टार्च से भी बनाया जाता है। अगर गुलाब जामुन में मिलावट का शक है तो उसे जानने का आसान तरीका है। गुलाब जामुन को एक पैन में रखें और शक्कर डाल दें। इसे धीमी आंच पर गर्म होने दें। अगर गुलाब जामुन शक्कर से मिलकर पानी छोड़ दें तो समझ जाएं कि उसमें किसी किस्म की मिलावट है।
लड्डू में मिलावट
मोतीचूर के लड्डू भी इतने स्वादिष्ट होते हैं कि घर में डिब्बा आते ही कुछ ही देर में खत्म हो जाता है। मोतीचूर के लड्डू का स्वाद तब खराब होता है जब बेसन की जगह मैदा या कुछ अन्य चीजें मिलाकर लड्डू बनाए गए हों। वैसे तो मोतीचूर के लड्डू की महक ही ये बताने के लिए काफी है कि इसमें मिलावट है। इसके बावजूद आप न समझ सकें तो हाइड्रोक्लोरिक एसिड लें। इसमें लड्डू का टुकड़ा डालें अगर रंग बदले तो समझा जाएं कि लड्डू में मिलावट है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से प्राप्त की गई है एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।