उत्सवी सीजन में कहीं आपके घर न पहुंच जाए नकली मिठाई, इस तरह करें जांच

हेल्थ, डेस्क रिपोर्ट। ये साल का वो वक्त है जब एक के बाद एक उत्सव आते जाते हैं पहले गणेश चतुर्थी, उसके कुछ दिन बाद श्राद्ध पक्ष और उसके बाद तो जैसे त्योहारों की कड़ी सी बन जाती है। नवदुर्गा, दशहरा, करवाचौथ और दिवाली तक ये सिलसिला जारी रहता है।

इसी दौरान मीठा बनाना और मिठाइयां लाने का सिलसिला भी चल पड़ता है। मिठाइयों की डिमांड ज्यादा होती है इसलिए मिठाइयों में मिलावट की गुंजाइश भी बढ़ जाती है। संभव है कि इस वक्त पर आ जो मिठाई खरीदें उसमें भी कुछ मिलावट मौजूद हो।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।