गाय के गोबर से चलेगी ट्रेन और गाड़ियां, जापान ने की अनोखी खोज

जापान ने गाय के गोबर से हाइड्रोजन फ्यूल बनाने का तरीका ढूंढ लिया है। जापान में गोबर से बायो गैसे बनाकर गाड़ियां, ट्रैक्टर, यहां तक कि ट्रेन तक चलाई जा रही है। यह ग्रीन एनर्जी का शानदार उपयोग है। जानिए कैसे हो रहा है यह कमाल।

वैसे तो हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है, कही हिन्दू ग्रंथो में तो यह भी बताया गया हे की गाय में देवताओ का निवास होता है और शायद इसी वजह से उनकी पूजा भी की जाती है। वहीं, गाय के गोबर का भी कई कामों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे पूजा में, चूल्हा जलाने में आदि।

लेकिन जापान ने एक नई खोज की है, जिसमें उन्होंने इससे हाइड्रोजन बनाकर खेल ही बदल दिया है। जापान के शहरों में गाय के गोबर से हाइड्रोजन फ्यूल बनाया जा रहा है, जिससे गाड़ियां और ट्रैक्टर चलाए जा सकते हैं। माना जा रहा है कि यह इंसानो के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा साबित हो सकता हे खासकर जिस तरह से एयर पोलुशन बढ़ रहा हे उसमे तो यह बहुत बढ़ा रोल प्ले कर सकता है।

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कैसे बनता है हाइड्रोजन फ्यूल?

मार्च में सामने आई इस खबर ने ग्रीन एनर्जी सेक्टर में हलचल मचा दी है। इसमें गोबर को पहले बायोगैस में बदला जाता है, फिर उससे हाइड्रोजन गैस निकाली जाती है। यह प्रक्रिया न सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट में मदद करती है बल्कि फॉसिल फ्यूल की जरूरतों को भी कम करती है। बताया जाता है कि होक्काइडो में 30% गायों के गोबर का उपयोग इसी काम के लिए किया जाता है, जिससे हाइड्रोजन फ्यूल बनाया जाता है।

कैसे किया जापान ने यह जादू?

बताया जाता है कि होक्काइडो के फार्म में यह जादू किया गया। गाय के गोबर और यूरिन को बड़े टैंकर में डालकर बैक्टीरिया की मदद से इसे तोड़ा जाता है, जिससे बायोगैस बनती है। इस बायोगैस से मेथेन निकाला जाता है, जिसे फिर हाइड्रोजन में बदला जाता है। इसके बाद इस हाइड्रोजन का उपयोग फ्यूल सेल्स में किया जाता है, जो ट्रैक्टर, फोर्कलिफ्ट और गाड़ियों में काम आते हैं। इतना ही नहीं, जापान की एक ट्रेन भी इसी फ्यूल से चलाई जा रही है। यह तरीका फॉसिल फ्यूल से होने वाले प्रदूषण को भी कम करता है, क्योंकि हाइड्रोजन जलने पर कार्बन नहीं छोड़ता, जो हमारे वातावरण के लिए बहुत अच्छा होता है।

किसानों के लिए एक नया मौका

जापान की यह तकनीक किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है। गोबर से हाइड्रोजन बनाकर न सिर्फ वेस्ट मैनेजमेंट हो रहा है, बल्कि किसानों को भी फायदा मिल रहा है। फ्यूल बनाने के बाद जो पदार्थ बचता है, उसे लिक्विड फर्टिलाइजर के रूप में भी उपयोग किया जाता है। होक्काइडो में 10 लाख से भी ज्यादा गायें हैं, जो जापान के लगभग आधे डेयरी उत्पादन में योगदान देती हैं। अब उनका वेस्ट रिन्यूएबल एनर्जी में बदल दिया गया है।


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Ronak Namdev

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मैं रौनक नामदेव, एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मैंने अपनी शिक्षा DCA, BCA और MCA मे पुर्ण की है, तो तकनीक मेरा आधार है और लेखन मेरा जुनून हैं । मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का ।

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