USA में MBBS की पढ़ाई, जानें कितने साल लगते हैं और कैसे है भारतीय सिस्टम से अलग

USA में MBBS की पढ़ाई चार साल की होती है, जिसमें पहले दो साल थ्योरी और अगले दो साल क्लिनिकल प्रैक्टिस शामिल होते हैं।

भावना चौबे
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USA से MBBS की डिग्री प्राप्त करना किसी भी छात्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है लेकिन यह आसान नहीं होता है अमेरिका में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 12 वीं पास के बाद आपको कई चरणों से गुजरना पड़ता है।

जैसे कि अच्छे अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास करनी होती है, उसके बाद SAT, TOEFL जैसे एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने होंगे। इसके बाद ही आपको वहां की किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है। इसके साथ ही US में एमबीबीएस की पढ़ाई महंगी होती है। इसलिए वित्तीय योजना और स्कॉलरशिप के बारे में भी सोचना जरूरी है।

अमेरिका में MBBS के लिए पहले प्री मेडिकल डिग्री है ज़रूरी

आपको बता दें, भारत में एमबीबीएस स्नातक स्तर की डिग्री है। जबकि अमेरिका में इसे पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री माना जाता है। यानी भारत में 12वीं पास करने के बाद NEET परीक्षा देकर सीधे किसी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर सकते हैं। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं है, यदि कोई भारतीय छात्र US में एमबीबीएस करना चाहता है तो उसे पहले भारत में एमबीबीएस पूरी करनी होगी या फिर US में किसी कॉलेज से प्री मेडिकल डिग्री यानी अंडरग्रैजुएट डिग्री करनी होगी। इसके बाद ही अमेरिका में मेडिकल डिग्री हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

अमेरिका में MBBS: 2 साल थ्योरी, 2 साल प्रैक्टिकल

अमेरिका में MBBS या डॉक्टर ऑफ मेडिसिन कोर्स 4 साल का होता है। इस कोर्स में पहले 2 साल थ्योरी की पढ़ाई और अगले 2 साल क्लिनिकल प्रैक्टिस पर आधारित होते हैं। भारत में 12वीं पास छात्र को US में एमबीबीएस करने के लिए सबसे पहले लगभग दो साल का प्री मेडिकल कोर्स करना पड़ता है। इसके बाद ही छात्र एमडी के लिए आवेदन कर सकता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान छात्रों को थ्योरी ऑफ प्रैक्टिकल के माध्यम से मेडिकल फील्ड में गहरी जानकारी मिलती है। जिससे वह कुशल डॉक्टर बन सकता है।

US से MBBS पर भारत में बिना परीक्षा प्रैक्टिस

अगर आप अमेरिका से एमबीबीएस या एमडी की डिग्री प्राप्त करते हैं, तो भारत में प्रेक्टिस करने के लिए किसी अतिरिक्त परीक्षा की आवश्यकता नहीं होती। US की एमडी डिग्री को मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त है। जिसका यह मतलब है कि US से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन से छूट मिलती है, इसके साथ ही एमबीबीएस डिग्री को विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO, ECG और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी मान्यता दी जाती है, जिससे यह डिग्री विश्व स्तर पर स्वीकार्य है।

 


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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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