अजब-गजब MP ! रायसेन में आग पर काबू पाने पहुंची फायर ब्रिगेड में नहीं था पानी

Gaurav Sharma
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रायसेन,डेस्क रिपोर्ट। जब कहीं भी आग लगती (Fire Accident) है तो उसे काबू में पाने के लिए सबसे पहले फायर ब्रिगेड (Fire Brigade) को ही फोन लगाया जाता है। ऐसा ही कुछ रायसेन (Raisen) में भी किया गया, लेकिन आगजनी एक हास्यास्पद और दयनीय मामले में तब्दील हो गई। आग बुझाने फायर ब्रिगेड (Fire Brigade) तो पहुंची लेकिन उसमें पानी ही नहीं था। पूरा मामला रायसेन (Raisen) जिले के देवरी (Deori) कस्बे का है।

दरअसल बीती रात रायसेन के देवरी में दुकान और घर में आग लग गई। जिसको देख पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। आग की लपटे देते हुए वहां पर मौजूद लोगों ने तुरंत फायर ब्रिगेड (Fire Brigade) को फोन करके बुलाया। जिसके बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने आग को बुझाने की कवायद शुरू की, लेकिन महज 1 मिनट के भीतर ही फायर ब्रिगेड का पानी खत्म हो गया। जिसके बाद स्थानीय लोगों को टैंकर बुलाकर आग पर काबू पाना पड़ा।  जब तक आग पर काबू पाया गया तक सब कुछ राख में बदल गया। बताया जा रहा है कि इस आगजनी में करीब 70 लाख का नुकसान हुआ है।

मिली जानकारी के अनुसार रायसेन जिले के देवरी में बॉम्बे महिमा नाम की अनुज बरसैया की कपड़े के शोरूम में आग लग गई। शोरूम के ऊपर गोडाउन और उसके ऊपर घर है। अनुज के घरवाले घर से बाहर गए हुए थे, तो इसी दौरान अनुज ने गैस पर दूध रख दिया, जिसके बाद वह गैस बंद करना भूल गया और घर और गोदाम में ताला लगा कर वह बाहर चला गया।

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इस दौरान सिलेंडर में ब्लास्ट हो गया और आग लग गई। आग घर से पहले गोदाम में लगी और फिर देखते ही देख आग ने दुकान को भी अपने लपेटे में ले लिया। इस तरह पूरी मंजिल में आग लग गई। सिलेंडर फटने से छत का एक हिस्सा भी टूट गया है। जैसे ही लोगों को आग लगने की सूचना मिली तो उन्होंने आग पर काबू पाने के लिए प्रयास किया। वहीं दोनों शटर बंद होने के चलते बगल की गैलरी से आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया, लेकिन जगह की कमी होने के चलते आग पर काबू पाना संभव नहीं हो पाया।

आग पर काबू पाने के लिए मौजूद लोगों ने फायर ब्रिगेड को फोन करके बुलाया, लेकिन वह देरी से आई। क्योंकि देवरी में फायर ब्रिगेड की कोई व्यवस्था नहीं है, यही कारण है कि लोगों को उदयपुरा फोन करके फायर ब्रिगेड को बुलाना पड़ा। उदयपुरा से दमकल की टीम देरी से तो पहुंची, साथ ही उसमें पानी ही नहीं था। जिसके बाद लोगों ने स्थानीय टैंकर की मदद से पानी का इंतजाम किया।जब तक आग पर काबू पाया गया तब तक मकान,गोडाउन, दुकान पूरी तरह से जल चुके थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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