World Toilet Day: आखिर क्यों मनाया जाता है ‘विश्व शौचालय दिवस’, जानें इसका इतिहास

Sanjucta Pandit
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World Toilet Day : विश्वभर में आज यानि 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है, जिसकी शुरूआत साल 2001 को हुई थी, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संगठन ने 2013 में विश्व शौचालय दिवस को मान्यता दी। इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मल की समस्या का जल्द-से-जल्द निराकरण करना है। बता दे भारत सरकार इसपर लगातार अभियान चला रही है ताकि इससे जुड़ी हर समस्या का निराकरण किया जा सके। वहीं, साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान चलाया। जिसके बाद सरकार का दावा है कि देश में अब 99.9 प्रतिशत घरों में शौचालय है, तो आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ कथ्यों के बारे में…

स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य देश को खुले में शौच करने की समस्या से निजात दिलाना था। बता दे इससे पहले मध्यप्रदेश के बैतूल की एक खबर ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया था। दरअसल, साल 2012 में अनीता नारे नाम की महिला ने अपनी शादी के दो दिन बाद ससुराल से वापस आपने मायके आ गई थी क्योंकि जिस घर में उसकी शादी हुई थी उस घर में शौचालय नहीं था। जिसपर आधारित फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ बनाई गई जो कि साल 2017 में रिलीज की गई थी, जिमें अभिनेता अक्षय कुमार और अभिनेत्रा भूमि पेडनेकर ने अनीता और उसके पति का रोल निभाया था।

खुले में शौच करने से पर्यावरण को नुकसान

सबसे पहले हम आपको बता दे कि खुले में शौच करने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इससे चारों तरफ गंदगी फैलती है, जिससे विभिन्न प्रकार की जानलेवा बिमारियां जन्म लेती हैं जैसे कि- डायरिया, हैजा, पेचिश, उल्टी-दस्त और पीलिया आदि। वहीं, एक्सपर्टस की मानें तो खुले में गंदगी करने से उस जगह के वातावरण में बिमारी फैलाने वाले किटाणु फैल जाते हैं। जिसके बाद वे हवा और पानी के माध्यम से इंसान के शरीर में प्रवेश करते हैं और तरह-तरह की बिमारियों को जन्म देेते हैं। एक सर्वे में पाया गया है कि जहां पर लोग खुले में शौच करते हैं वहां के लोग अधिकतर बीमार रहते हैं।

महिलाओं को होती थी समस्या

वहीं, खुले में शौच जाने से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअशल, महिलाओं को गांव की परंपरा के अनुसार रात के समय शौच में जाना पड़ता है ताकि किसी की नजर ना पड़ें। ऐसे में वो अक्सर यौन अपराधों का शिकार होती थी। इसके अलावा सर्दी और बरसात के मौसम में उनकी समस्याएं दोगनी हो जाती थीं। NCRB के डेटा की माने तो ग्रामीण क्षेत्रों महिलाओं के साथ यौन अपराध और बलात्कार जैसी घटनाएं ज्यादातार रात के अंधेरे में शौच के लिए जाते समय होती थी।

विश्व शौचालय दिवस का इतिहास

देश आजाद होने के पश्चात करीब 90 प्रतिशत आबादी खुले में शौच किया करती थी, जिसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी, अशिक्षा और रूढीवादी सोच थी। दरअसल, लोगों का मानना था कि घर में शौच करने से धर्म भ्रष्ट हो सकता है फिर चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो लेकिन फिर सरकार के काफी दिन प्रयास करने के बाद आखिरकार लोगों के इस सोच को बदला पाना संभव हो पाया। जिसका नतीजा है कि अब लोग अपने घरों में ही शौचालय का निर्माण करवा रहे हैं। इसके लिए सरकार भी लोगों को पैसे दे रही है।


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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