क्या आपने खाई है काली गाजर, जानिए इसकी विशेषताएं, किस तरह है लाल गाजर से अलग

आयुर्वेद में काली गाजर का उपयोग वात और पित्त दोष को संतुलित करने के लिए बताया गया है। इसका उपयोग कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है, जैसे हलवा, सूप, सलाद, अचार, और जूस आदि। विशेष रूप से सर्दियों में काली गाजर का हलवा बहुत पसंद किया जाता है, जो स्वाद और पोषण से भरपूर होता है।

Shruty Kushwaha
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Black Carrot Speciality : सर्दियों का मौसम है इस समय बाज़ार में गाजर की बहार है। लाल ताजी गाजर सेहत के लिए तो लाभदायक होती ही है, इसी के साथ सालभर इसका इंतज़ार किया जाता है ताकि गाजर का हलवा खाया जा सके। साथ ही कई अन्य तरह की मिठाई और व्यंजन बनाए जाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने काली गाजर खाई है।

काली गाजर आमतौर पर गहरे बैंगनी रंग की होती है। हालांकि इसके बाहर का रंग काला या बैंगनी होता है, इसके अंदर का हिस्सा आमतौर पर नारंगी या हल्का पीला होता है। यह गाजर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पाई जाती है और सर्दियों के मौसम में उगाई जाती है।  इसे ‘ब्लैक कैरोट भी कहा जाता है और यह अपनी विशेषताओं के लिए जानी जाती है।

काली गाजर के पोषक तत्व और स्वास्थ्य लाभ

काली गाजर स्वाद में तीखी और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए कई लाभकारी होता है। एंथोसायनिन और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स के कारण काली गाजर हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने और हृदय की धमनियों को स्वस्थ रखने में सहायक होती है। साथ ही इसके एंटीऑक्सिडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। काली गाजर का सेवन पेट साफ करने और पाचन को मजबूत बनाने में मदद करता है, क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। इसी के साथ इसमें विटामिन A, विटामिन C, फोलिक एसिड, पोटेशियम, और आयरन जैसी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।

काली गाजर मुख्य रूप से उत्तर भारत में पाई जाती है। यूपी, हरियाणा, पंजाब के अलावा ये हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और राजस्थान जैसे क्षेत्रों में भी पाई जाती है। काली गाजर का हलवा भी बेहद स्वादिष्ट बनता है। इसकी के साथ इसे सलाद, सूप, सब्जी, अचार और रायते जैसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है।

काली गाजर और लाल गाजर में अंतर

1. रंग और रूप

  • काली गाजर: काली गाजर का रंग गहरे बैंगनी या काले रंग का होता है, और यह आकार में आमतौर पर लंबी और पतली होती है
  • लाल गाजर: लाल गाजर का नाम इसके लाल रंग पर ही पड़ा है। इसकी बनावट, मोटी, छोटी, पतली, लंबी कई तरह की होती है।

2. स्वाद

  • काली गाजर का स्वाद हल्का तीखा और कसैला होता है, जबकि लाल गाजर का स्वाद मीठा होता है।
  • काली गाजर का स्वाद थोड़ा अलग होता है और कुछ लोगों को ये अपने अलग स्वाद के कारण अधिक पसंद आती है।

3. पोषक तत्व

  • काली गाजर में एंथोसायनिन्स (Anthocyanins) नामक एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, इसमें फाइबर, विटामिन A, C और आयरन की भी बहुत अच्छी मात्रा होती है।
  • लाल गाजर में बीटा-कैरोटीन की अधिक मात्रा होती है, जो शरीर में विटामिन A में परिवर्तित होता है और ये आंखों के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है।

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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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