लाइफस्टाइल, डेस्क रिपोर्ट। आज तक आपने दुनिया भर के ऐसे लोगों को देखा होगा जिनकी आंखों का कलर (Eye Color) अलग-अलग रंग का होता है। किसी की आंख काली तो किसी की आंख भूरी होती है। वहीं किसी की नीली तो किसी की हरी होती है। लोगों की खूबसूरती भी कई बार आँखों के रंग पर निर्भर करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं आंखों के अलग-अलग रंगों की क्या वजह होती है और इसके पीछे का विज्ञान क्या है। अगर नहीं जानते हैं तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं आंखों का रंग कैसे डिसाइड होता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आंखों का रंग आंखों की पुतली में मौजूद मेलानिन की ज्यादा मात्रा के हिसाब से तय किया जाता है। इतना ही नहीं इसका रंग तय करने में प्रोटीन डेंसिटी का भी हाथ होता है। आपको बता दें आंखों के रंग की 9 कैटेगरी है। इसमें से 16 जीन होते हैं जो आंखों के रंग के साथ जुड़ जाते हैं। दरअसल, आंखों के दो प्रमुख और सबसे खास रंगो के लिए जिम्मेदार होते हैं वह है OCA2 और HERC2.
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इन दोनों के क्रोमोसोम 15 में होते हैं। ऐसे में लोगों को नीली रंग की आंखें सबसे ज्यादा पसंद आती है। दरअसल, नीली रंग की आंखों के लिए HERC2 काफी ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है। ऐसी रंग की आंखें देखने के बाद लोगों को बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय की आंखें याद आ जाती है। क्योंकि कुछ ही लोगों की आंखों का रंग अलग-अलग होता है बाकियों की आंखों का रंग अधिकतर भूरा होता है।
वहीं एक्ट्रेस ऐश्वर्या की आँखों का रंग भी नीला है। अगर किसी को ऐसा रंग चाहिए रहता है तो आजकल लेंस के इस्तेमाल से भी लोग अपनी आँखों का रंग बदल लेते हैं। लेकिन कुछ लोगों में ये नैचुरली पाया जाता है। आपको बता दे कुछ लोगों की आंखों में ग्रे कलर भी देखा गया है। दरअसल ऐसी कलर की आंखों में मेलानिन पिगमेंट काफी कम मात्रा में होता है।
इतना ही नहीं आंखों की प्रोटीन डेंसिटी भी खूब कम होती है। इस वजह से सिर्फ 2 फ़ीसदी लोगों को ही ग्रे और हरी आंखें मिलती है। हालांकि कई बार लोग इसे कुदरत का वरदान भी मानते हैं, क्योंकि सिर्फ कुछ ही प्रतिशत लोगों की आंखों का कलर बदला हुआ रहता है। बाकी सब का सामान्य काला और भूरा रहता है। इन कलर ओं का भी काफी अलग-अलग महत्व माना गया है।