Health : शरद पूर्णिमा के दिन होती है अमृत की वर्षा, इस दिन खीर खाने के होते हैं ये गजब फायदे

Published on -
Sharad Purnima

धर्म, डेस्क रिपोर्ट। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। दरअसल इस पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग में हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की तिथि पर शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार यह पूर्णिमा 9 अक्टूबर को आ रही है। खास बात यह है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी भी धरती पर आती है इसलिए इस दिन का काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। शरद पूर्णिमा वाले दिन धन की देवी महालक्ष्मी उल्लू की सवारी पर सवार होकर धरती के भ्रमण के लिए आती है।

Rashifal 08-09 October 2022 : मेष-मिथुन-वृश्चिक-मकर के लिए दिन उत्तम, यात्रा, स्वास्थ्य, धन लाभ के योग, तुला-कुंभ रखें विशेष ध्यान, जानें 12 राशियों का भविष्यफल

कहा जाता है कि मां लक्ष्मी का शरद पूर्णिमा के दिन जन्म हुआ था इसलिए इस दिन का काफी ज्यादा महत्व होता है। इतना ही नहीं मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन लोग खीर बनाकर अपने घर की छत पर रखते हैं। आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी को अमृत के समना बताया गया है। क्योंकि शरद पूर्णिमा पर खीर खाने से स्वास्थ्य को काफी ज्यादा फायदा मिलता है। साथ ही इसके सेवन से रोग प्रतिरोधकता और आरोग्य में वृद्धि होती है। इसके कई चिकित्सकीय फायदे भी होते है।

Sharad Purnima : खुले आसमान में खीर रखने की मान्यता –

Sharad Purnima

कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत निकलता है। दरअसल, शरद पूर्णिमा की रात को चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इस वजह से हर कोई पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर अपने छत पर खुला रखता है और उस खीर को अगले दिन खाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस खेल के सेवन से कई बीमारियों से छुटकारा भी पाया जाता है। वहीं जीवन के कष्ट भी इस खीर को खाने से दूर किए जा सकते हैं।

इंदौर : नहीं सुलझा मासूम माही की मौत का रहस्य, माँ के साथ गरबा देखने गई बच्ची को सिर में घुसा था गोली जैसा मेटल का टुकड़ा 

इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि दूध से बनी चीज़ों को पूर्णिमा के दिन चांदी के बर्तन में ही खाना चाहिए। वैज्ञानिकों की माने तो दूध में लैक्टिक अम्ल पाया जाता है ऐसे में चंद्रमा की किरणों से रोगाणुनाशक शक्ति अर्जित करता है। वहीं बात करें चावल की तो इसके स्टार्च के मिश्रण से ये प्रक्रिया और तेज हो जाती है। ऐसे में पूर्णिमा के दिन इस खीर को खाने से दमा, त्वचा रोग और श्वांस रोग में काफी ज्यादा फायदा मिलता है।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।


About Author

Ayushi Jain

मुझे यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्त्व है। मुझे गर्व है मैं एक पत्रकार हूं।मैं पत्रकारिता में 4 वर्षों से सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, कंटेंट क्यूरेशन, और कॉपी टाइपिंग में कुशल हूं। मैं वास्तविक समय की खबरों को कवर करने और उन्हें प्रस्तुत करने में उत्कृष्ट। मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखना जानती हूं। मैने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएशन किया है। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन एमए विज्ञापन और जनसंपर्क में किया है।

Other Latest News