बोटॉक्स से कैसे ठीक होगा डिप्रेशन! जानिए हैरान करने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्य

मनोविज्ञान के क्षेत्र में लंबे समय तक अलग अलग विषयों पर कई अध्ययन हुए हैं। इनमें कुछ ऐसे निष्कर्ष और तथ्य निकलकर सामने आए हैं, जो हमें आश्चर्यचकित कर देते हैं। उदाहरण के लिए, आपको अगर अपने रोमांटिक रिलेशनशिप का भविष्य जानना है तो खुद कयास लगाने की बजाय मां या दोस्तों से पूछना ज्यादा बेहतर है।

Psychology

Psychological Facts : मनोविज्ञान में मनुष्य की मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार और अन्य मनोवैज्ञानिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है। मनोविज्ञान मानव व्यवहार को समझने में मदद करता है, जिससे हम अपने और दूसरों के व्यवहार को बेहतर रूप से समझ सकते हैं। यह विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद, चिंता, स्ट्रेस, तथा संबंधों की समझ विकसित करने में भी मदद करता है। मनोविज्ञान में लंबे समय तक हुए कई अध्ययनों के बाद कई रोचक तथ्य निकलकर सामने आए हैं। आज हम आपके साथ ऐसी ही कुछ बातें साझा करने जा रहे हैं।

मनोवैज्ञानिक तथ्य

  1. हम जैसे दिखते हैं उसका हमारी मन:स्थिति पर कितना प्रभाव पड़ता है ? मनोविज्ञान के मुताबिक चेहरे की प्रतिक्रिया सिद्धांत के अनुसार, हमारे चेहरे के भाव हमारी भावनाओं को प्रभावित करते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान अस्थायी रूप से बोटॉक्स इंजेक्शन से चेहरे पर उदासी के भावों की मांसपेशियों को अक्षम कर दिया। इससे लोगों का नकारात्मक भावनात्मक अनुभव ख़त्म हो गया और उनमें अवसाद के लक्षणों में कमी देखी गई।
  2. क्या आप कुछ सीखने में बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं? अगर ऐसा है तो यह शास्त्रीय संगीत को सुनने का समय है। अध्ययन के मुताबिक शास्त्रीय संगीत सुनने से वृद्ध लोगों की स्मृति में वृद्धि होती है। यह खोज इतनी मजबूत है कि इसका अपना नाम है और इसे “विवाल्डी प्रभाव” (Vivaldi effect) कहा जाता है।
  3. तारा मैकडोनाल्ड और माइकल रॉस के अनुसार, यदि आप प्यार में हैं और जानना चाहते हैं कि क्या यह टिकेगा, तो आपको बस अपनी माँ से पूछना चाहिए। उन्होंने बताया कि डेटिंग करने वाले जोड़े गुलाबी रंग के चश्मे से देखते हैं इसीलिए अपने रिश्ते की लंबी उम्र की भविष्यवाणी करते हैं। लेकिन सही बात जानने के लिए आपको अपने दोस्तों और परिवार से पूछना चाहिए। वो बेहतर भविष्यवक्ता के रूप में काम करते हैं क्योंकि वो सच्चाई देख पाते हैं।
  4. बच्चे दुनिया के सभी लहजों (accents) को समझने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं, लेकिन 5 महीने की उम्र से वे अपनी मां के लहजों को पसंद करना और सुनना शुरू कर देते हैं और अन्य लहजों वाले लोगों के साथ संबंध बनाने से बचते हैं।
  5. डिस्लेक्सिया को एक समस्या के रूप में देखा जाता है, लेकिन यह कई शक्तियों के साथ विशिष्ट रूप से कार्य करने वाले मस्तिष्क का संकेत भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को बिना डिस्लेक्सिया वाले बच्चों की तुलना में अधिक भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ देते देखा गया है।

(डिस्कलेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)

 

 

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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