Parenting Tips: बच्चों की मेंटल हेल्थ का कैसे रखें ध्यान? जानिए असरदार पैरेंटिंग टिप्स

Parenting Tips: बच्चों की किलकारी हर घर में खुशियां ला देती है। मगर पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी सिर्फ शारीरिक देखभाल तक सीमित नहीं है। बच्चे के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ख्याल रखना भी उतना ही ज़रूरी है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को भी तनाव होता है, उन्हें भी चिंताएं सताती हैं। ऐसे में माता-पिता की भूमिका अहम हो जाती है। आप अपने नन्हे फूल की मानसिक सेहत का ख्याल रखना चाहते हैं? तो ये आसान टिप्स आपके काम आ सकती हैं।

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Parenting Tips: बच्चों की दुनिया भले ही कितनी ही खिलौनों और खेलों से भरी हो, उनके लिए भी तनाव और चिंता जैसी चीज़ें हो सकती हैं। इसलिए, माता-पिता के लिए ये ज़रूरी है कि वो न सिर्फ बच्चों की शारीरिक सेहत का ख्याल रखें, बल्कि उनकी मानसिक सेहत को भी मज़बूत बनाएं। एक आसान तरीका है उनके रूटीन को दुरुस्त करना। नियमित नींद, संतुलित आहार और पर्याप्त शारीरिक गतिविधि – ये तीनों मिलकर बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं. तो देर किस बात की, आज से ही अपने बच्चों के लिए एक हेल्दी रूटीन बनाएं।

बच्चों की मेंटल हेल्थ का कैसे रखें ध्यान?

प्यार से समझाएं

डांट-डपट हर बच्चे के लिए नुकसानदेह। प्यार और स्नेह बच्चों की मानसिक सेहत की नींव हैं। प्यार से उन्हें सुरक्षा का एहसास मिलता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपनी भावनाओं को समझना सीखते हैं। नियमित रूप से प्यार जताएं, उनके साथ खेलें, उनकी बात सुनें और उनकी उपलब्धियों को सराहें। यह आसान सा फंडा आपके बच्चों को खुश और मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा।

बच्चों की भावनाएं समझें

बच्चों के मन छोटे होते हैं, पर उनकी भावनाएं गहरी होती हैं। हर पेरेंट्स को ये याद रखना चाहिए। अपने बच्चे के साथ सिर्फ माता-पिता का रिश्ता ना निभाएं, बल्कि उनके दोस्त भी बनें। उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। गुस्सा, खुशी, या डर – हर भावना को स्वीकारें। ध्यान से सुनें, उनकी बातों को दबाएं नहीं। यही वो रास्ता है जिससे बच्चे खुलकर आपसे बात कर पाएंगे। उनकी भावनाओं को समझकर आप उनकी मानसिक सेहत का ख्याल रख सकेंगे और उन्हें हर परिस्थिति से निपटने में मदद दे पाएंगे।

लड़ाई-झगड़े का माहौल न बनाएं

घर को युद्धक्षेत्र न बनाएं। बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़े और नकारात्मकता से उनकी मानसिक सेहत पर असर पड़ता है। इसके बजाय, प्यार और खुशियों को फैलाएं। उनकी छोटी-मोटी उपलब्धियों को भी जश्न की तरह मनाएं. एक-दूसरे का सम्मान करें और सकारात्मक बातचीत को बढ़ावा दें। यही माहौल आपके बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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