Famous Nag Temples: नाग पंचमी के अवसर पर जरूर करें इन चमत्कारी मंदिरों के दर्शन, बदल सकती है आपकी किस्मत

Famous Nag Temples: भारतीय संस्कृति में नाग देवता को अत्यंत पूजनीय माना जाता है। इन्हें जल का देवता, धन का देवता और सर्पों का राजा भी कहा जाता है। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां नाग देवता की पूजा की जाती है और इन मंदिरों में दर्शन करने से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

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Famous Nag Temples: भारतीय संस्कृति में नाग देवता को सदैव पूजनीय माना गया है। इन्हें जल का देवता, धन का देवता और सर्पों का राजा भी कहा जाता है। नाग देवता की पूजा का एक विशेष पर्व है नाग पंचमी। यह पर्व सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, ऐसा माना जाता है। नाग देवता को समर्पित मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। इन मंदिरों में नाग देवता की भव्य मूर्तियां स्थापित होती हैं और यहां भक्तजन दूर-दूर से आकर पूजा-अर्चना करते हैं।

मान्यता है कि इन मंदिरों में आने से नाग दोष दूर होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नाग पंचमी के दिन लोग नाग देवता की मूर्ति पर दूध, दही, फल और फूल चढ़ाते हैं। इसके साथ ही नाग देवता के मंत्रों का जाप भी किया जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों को दूध पिलाने की भी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है। नाग देवता की पूजा का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत गहरा है। नाग देवता को प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और उनकी पूजा करने से प्रकृति के प्रति सम्मान और आदर की भावना जागृत होती है।

नागद्वार, पचमढ़ी (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में स्थित नागद्वार एक ऐसा मंदिर है जो अपनी रहस्यमयता और प्राचीनता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर मुख्य रूप से नाग देवता को समर्पित है और सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच स्थित एक विशाल गुफा में स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही भक्तों के लिए खोला जाता है। नागद्वार तक पहुंचने के लिए भक्तों को लंबी पैदल यात्रा करनी होती है। इस यात्रा के दौरान उन्हें घने जंगलों और खड़ी चढ़ाई से गुजरना पड़ता है। माना जाता है कि जो भक्त इस कठिन यात्रा को पूरा करके नागद्वार पहुंचते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नागद्वार में चिंतामणि गुफा भी स्थित है जो लगभग 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नाग देवता की कई मूर्तियां स्थापित हैं और यहां का वातावरण बेहद शांत और पवित्र है। नाग पंचमी के अवसर पर यहां एक विशाल मेला लगता है जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं।

नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर नाग देवता को समर्पित एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। यह मंदिर अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है क्योंकि यह साल में सिर्फ एक बार, नाग पंचमी के दिन ही भक्तों के लिए खोला जाता है। इस दिन मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है और वे नाग देवता के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागराज तक्षक इस मंदिर में प्रकट होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस कारण यह मंदिर नाग देवताओं के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है। नाग पंचमी के दिन यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्तजन विभिन्न प्रकार के भोग और प्रसाद चढ़ाते हैं।

भुजिया किला और भुजंग नाग मंदिर

गुजरात के भुज में स्थित भुजिया किला न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि यह नाग देवता से जुड़ी एक रोचक कथा का भी केंद्र है। मान्यता है कि यह किला पहले नागा सरदारों का था। नागा कबीले के अंतिम सरदार भुजंगा की एक युद्ध में मृत्यु हो गई और उनकी याद में स्थानीय लोगों ने भुजिया पहाड़ी के शीर्ष पर एक मंदिर बनवाया। इस मंदिर को भुजंग नाग मंदिर के नाम से जाना जाता है।

भुजंग नाग को नागों के देवता शेषनाग का भाई माना जाता है। नाग पंचमी के दिन यह मंदिर भक्तों से खचाखच भरा रहता है। लोग मानते हैं कि यहां आकर पूजा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भुजिया पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह इतिहास और संस्कृति का भी एक जीवंत उदाहरण है। यह किला और मंदिर नाग देवता के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा का प्रमाण है। नाग पंचमी के दिन यहां आयोजित होने वाले उत्सव इस बात का प्रमाण हैं कि नाग देवता की पूजा आज भी लोगों के दिलों में कितनी गहरी है।

मन्नारशाला मंदिर, केरल

केरल का मन्नारशाला मंदिर नाग देवताओं को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान परशुराम ने किया था। मन्नारशाला मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां लगभग 30,000 नागा देवताओं की छवियां स्थापित हैं। यह मंदिर न केवल अपनी वास्तुकला बल्कि अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मन्नारशाला मंदिर में एक अनूठी परंपरा है कि यहां की मुख्य पुजारी एक महिला होती है। यह मंदिर नाग देवताओं को समर्पित होने के कारण सांपों से जुड़ी कई किंवदंतियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और स्वास्थ्य लाभ होता है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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