मंदिर में दबे पांव रख आइए ये चीज, मिलने लगेगा मेहनत का फल

Amit Sengar
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लाइफस्टाइल,डेस्क रिपोर्ट। vastu tips : आप दिनभर जी तोड़ मेहनत करते हैं। इसके बावजूद दिन के आखिर में आपका यही सवाल होता है कि जितनी मेहनत की उतना फल नहीं मिला। ऐसा कहा भी जाता है कि आप चाहें जितनी मेहनत कर लें अगर किस्मत (luck) या भगवान आपके साथ नहीं है तो उसका पूरा फल आपको नहीं मिलेगा। इन बातों पर यकीन करते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने घर के मंदिर में कुछ चीजें रख आइए। आपको तुरंत मेहनत का फल मिलने लगेगा। लेकिन ये ध्यान रखें कि ये काम आपको एकदम चुपचाप करना होगा। किसी को कानों कान खबर न हो कि मंदिर में आपने क्या रखा है।
मंदिर में क्या रखना है?

एक रुपये का सिक्का, कपास यानि कि ओरिजनल रूई या चांदी का टुकड़ा जो आकार में चौकोर हो, उसे रखना है। इसके अलावा सफेद कपड़ा या तांबे के कलश में भी ये सामान रख सकते हैं ले सकते हैं। इन सभी में से कोई एक सामग्री आपको लेनी है। इसे घर के मंदिर में कहीं भी रख दें।

रखने का तरीका
इस पूरी प्रक्रिया में सामग्री को रखने का तरीका जान लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि काम बहुत आसान है लेकिन तरीका समझ लेना ज्यादा जरूरी है। मान लीजिए आप भगवान के सामने सिक्का रखना चाहते हैं। तो, हाथ में सिक्का लें। एक मुट्ठी अक्षत लें। दोनों को हथेली में रखें और भगवान को अपनी परेशानी बता कर सिक्का मंदिर में छुपा कर रख दें।
अगर आपने इस काम के लिए कपास का चयन किया है तो आपको अक्षत के साथ साथ कुछ कपास के दानें भी साथ लेने होंगे। उसी तरह भगवान के सामने अपनी मनोकामना कहें और कपास को छुपा कर रख दें।

चांदी का चौकोर टुकड़ा रखते हैं तो सबसे पहले हाथ में फूल और चावल लें। फिर चांदी का टुकड़ा लें। इसे मंदिर में रख दें।

सफेद रूमाल रखना चाहते हैं। तो, इसी रूमाल में चावल के दाने रखें। साथ ही एक पूरी सुपारी भी रख दें। इन्हें अच्छे से बांधकर मंदिर में छुपा कर रख दें।

तांबे का कलश रखना चाहते हैं तो इसे अक्षत से भर दें। और मंदिर में चुपचाप रख दें।

ये ध्यान रखें कि इनमें से कोई एक ही चीज आपको ऐसे रखनी है।

*Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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