World Heritage Day 2024 : पूरी दुनिया 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाती है। लोगों को उनके ऐतिहासिक इमारतों, संस्कृति, धरोहरों और सांस्कृतिक स्थलों के महत्व को बताने के लिए ही इस दिन को मनाने की शुरूआत की गई। लोगों को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण धरोहरों के संरक्षण के लिए सतर्क एवं जागरूक होने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। मध्य प्रदेश के वो 11 ऐसी विरासत है जो यूनेस्को की सूची में शामिल है।
विश्व विरासत दिवस को मनाने के पीछे का इतिहास
साल 1968 में दुनिया भर की चर्चित इमारतों और प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण के लिये एक प्रस्ताव लाया गया इस प्रस्ताव को एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने पेश किया। जिसे स्टॉकहोम में एक इंटरनेशनल समिट में पास कर दिया गया जिसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की स्थापना की गई। पहली बार साल 1982 में विश्व विरासत दिवस को मनाने का एक प्रस्ताव रखा गया। साल 1983 में इस दिन को मनाने के लिए आधिकारिक मान्यता दे दी गई और तब से लेकर आज तक ये दिन मनाया जाता है।
यूनेस्को की लिस्ट में मध्य प्रदेश के 11 धरोहर
इसी साल यूनेस्को की ओर से एक सूची जारी हुआ है जिसमें कई ऐतिहासिक स्थलों के नाम है। इस सूची में मध्य प्रदेश के 6 स्थलों के नाम भी है। प्रदेश के ये 6 स्थल अभी यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल है जिसमें ग्वालियर का किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजपुर के भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, बुरहानपुर का खूनी भंडारा और रामनगर मंडला का गोंड स्मारक शामिल है। वहीं पहले से ही यूनेस्को की स्थाई सूची में मध्य प्रदेश की 5 विश्व धरोहर शामिल हैं जिसमें खजुराहो स्मारक समूह, सांची स्तूप, भीमबेटका रॉक शेल्टर्स, भेड़ाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व है।
क्या है इस साल विश्व विरासत दिवस की थीम
हर साल दुनिया भर में विश्व विरासत दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल भी कुछ ऐसा ही है साल 2024 में विश्व विरासत दिवस की थीम Discover and experience diversity रखी गई है जिसका मतलब होता है कि विविधता की खोज और उसका अनुभव करना।