Fri, Dec 26, 2025

National Civil Service Day 2024: जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस? इसको मनाने के पीछे का इतिहास और महत्व

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National Civil Service Day 2024: भारत में हर साल 21 अप्रैल राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया जाता है। आइए जानते है इस दिन को मनाने के पीछे का क्या महत्तव है और क्या है इसका इतिहास।
National Civil Service Day 2024: जानें क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस? इसको मनाने के पीछे का इतिहास और महत्व

National Civil Service Day 2024: भारत में 21 अप्रैल राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में जाना जाता है। मनाया जाता है। हर साल पड़ने वाला 21 अप्रैल का दिन सिविल सेवकों के लिए समर्पित है। ये दिन जनता की सेवा में लगे सिविल सेवक के समर्पण उनकी ईमानदारी और कड़ी मेहनत को सम्मान देने का दिन होता है। जहां पर नागरिकों की सेवा के लिए खुद को फिर से समर्पित करने के लिए सिविल सेवकों को अवसर प्रदान किया जाता है। चलिए जानते है क्या है इस दिन को मनाने के पीछे का इतिहास।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का इतिहास

भारत में राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में मनाया जाता है। सरदार पटेल को ही भारतीय सिविल सेवाओं के संस्थापकों में से एक माना जाता है। उन्होंने देश के आजाद होने के बाद पहले बैच के सिविल सेवकों को मेटकाफ हाउस में संबोधित करते हुए कहा था कि ये भारत के ‘स्टील फ्रेम’ है। बता दें कि भारतीय संघ में रियासतों को एकीकृत करने में सरदार पटेल की बहुत बड़ी भूमिका रही है इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। पहली बार साल 2006 में 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाया है जो आज तक चल रहा है।

जानिए इस दिन का महत्व

सिविल सेवा दिवस सिविल सेवकों को सम्मानित करने और देश के विकास में उनके योगदान को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। ये दिन सभी को सार्वजनिक सेवा के महत्व के बारे में बताता है साथ ही सिविल सेवकों को समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ काम करने के प्रोत्साहित भी करता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य उस घटना से है जब स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए कहा था कि वो भारत के स्टील फ्रेम’ है। यानी ऐसे लोग जो सरकार के विभिन्न स्तरों पर काम करते हैं और देश की प्रशासनिक प्रणाली में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।