NATO Dating : रिलेशनशिप और डेटिंग का नया कॉन्सेप्ट, कहीं आपका पार्टनर भी नहीं कर रहा ‘नाटो डेटिंग’, पहचानें संकेत

किसी भी रिश्ते में दो लोग होते हैं और रिश्ता क्या आकार लेगा ये दोनों का फैसला होना चाहिए। अगर दोनों पार्टनर ‘नाटो डेटिंग’ के लिए सहमत हैं तब तो कोई समस्या नहीं, लेकिन सिर्फ एक पार्टनर ऐसा चाहे और दूसरे से डिस्कस नहीं करे तो मामला गंभीर हो सकता है। ऐसी रिलेशनशिप में दूसरे व्यक्ति को इमोशनल ट्रॉमा हो सकता है ये बात उसकी मेंटल हेल्थ पर भी असर डाल सकती है।

NATO Dating

NATO Dating, A New Concept in Relationships : समय बदलने के साथ हर चीज बदलती है। रिलेशनशिप और डेटिंग भी इससे अछूते नहीं। आज के समय में डेटिंग और रिश्तों की परिभाषा तेजी से बदल रही है और इसी के साथ कई नई चुनौतियां और खतरे भी उभर रहे हैं। सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स की बढ़ती लोकप्रियता ने लोगों के बीच कनेक्शन को तो आसान बना दिया है, लेकिन साथ ही इसका दुरुपयोग भी बढ़ा है। विश्वास और ईमानदारी की कमी, कैटफिशिंग, घोस्टिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे खतरे अब जैसे सामान्य बात हो गई है। इसीलिए किसी भी रिलेशनशिप या डेटिंग से पहले सामने वाले को अच्छे से परख लेना चाहिए।

आज हम नए ज़माने की डेटिंग के एक ऐसे कॉन्सेप्ट पर बात करेंगे..जिसमें लोग जुड़ना तो चाहते हैं लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहते। ये एक ऐसे जहाज़ पर चढ़ने की तरह है जिसमें चढ़ने के बाद आप कहीं नहीं पहुंचते और डूबने का खतरा बना रहता है। अगर दोनों ही पार्टनर इसे लेकर राज़ी हो तब तो कोई बात नहीं, लेकिन कोई एक इस मंशा से जुड़े और दूसरा संजीदा हो जाए तो समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसीलिए किसी से इमोशनली जुड़ने से पहले कई मुद्दों पर साफ़ बात कर लेनी चाहिए।

क्या है NATO Dating

क्या आपने NATO डेटिंग के बारे सुना है। ‘नाटो’ यानी Not Attached to an Outcome, जिसका अर्थ हल्के और अनुभव-आधारित कनेक्शन बनाना है। लेकिन यह तभी सफल हो सकता है जब दोनों पक्ष इसे समझदारी और साफ़गोई के साथ अपनाएं। नाटो डेटिंग एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें परिणाम की अपेक्षा या रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाने की इच्छा के बिना लोग आपस में जुड़ते हैं। इसमें उद्देश्य सिर्फ उस मौजूदा समय का आनंद लेना, व्यक्ति को जानना और ‘गो विद द फ्लो’ के साथ आगे बढ़ा होता है।

हालांकि यह दृष्टिकोण दबाव और अपेक्षाओं को कम करता है, जिससे डेटिंग अधिक सहज और आनंददायक बन सकती है। लेकिन ये तभी संभव है जब दोनों पार्टनर इसके लिए तैयार हों और, आपसी सहमति हो और कोई भी किसी के साथ खिलवाड़ न करे। नाटो डेटिंग उन लोगों के लिए आदर्श है जो खुले दिल से अनुभव करना चाहते हैं, बिना किसी भविष्य की चिंता किए।

नाटो डेटिंग (नॉट अटैच्ड टू एन आउटकम) के कुछ फायदे हो सकते हैं, लेकिन यह कई चुनौतियों और भावनात्मक परेशानियों का कारण भी बन सकती है। यह तरीका किसी रिश्ते को दबाव-मुक्त और सहज बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, लेकिन जब दोनों पक्षों की अपेक्षाएँ अलग होती हैं तो यह जटिल और कभी-कभी भावनात्मक रूप से हानिकारक हो सकता है।

नाटो डेटिंग के संकेत

“नाटो डेटिंग” या किसी भी तरह की डेटिंग का नियम तो ये है कि दोनों पार्टनर्स एक दूसरे के साथ अपनी स्थिति और अपेक्षाओं को लेकर बात करें। लेकिन हमेशा कहां लोग नियमों का पालन करते हैं। कई बार कुछ लोग इसलिए भी इस तरह की बातें खुलकर नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें सामने वाले के इनकार का डर होता है। लेकिन उनके व्यवहार से साफ संकेत मिल जाता है कि वो अपनी रिलेशनशिप को लेकर क्या सोचते हैं। अगर आपको भी अपने पार्टनर से मिक्स सिग्नल्स मिलते हैं या असुरक्षा महसूस होती है, तो ये नाटो डेटिंग का संकेत हो सकता है। इस संकेतों को पहचानना जरूरी है।

  1. स्पष्टता की कमी : व्यक्ति अपने उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से नहीं बताता और न ही रिश्ते के भविष्य को लेकर बात करता है। वे इसे एक तात्कालिक अनुभव के रूप में देखते हैं, न कि एक लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप के रूप में।
  2. भावनात्मक निवेश से बचना : वे रिश्ते में भावनात्मक रूप से पूरी तरह से इन्वॉल्व नहीं होते और न ही गंभीरता से रिश्ते को आगे ले जाने का प्रयास करते हैं। यह एक हल्का और अव्यवस्थित दृष्टिकोण हो सकता है।
  3. अपनी स्वतंत्रता को प्राथमिकता देना : व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता को प्राथमिकता देता है और नहीं चाहता कि उसका जीवन किसी भी रिश्ते से बंधे। इस प्रकार की डेटिंग में पार्टनर पर किसी तरह का निर्भरता या प्रतिबद्धता नहीं होती।
  4. कोई दीर्घकालिक योजना नहीं : इन व्यक्तियों का उद्देश्य डेटिंग के दौरान बस आनंद लेना होता है, बिना किसी दीर्घकालिक योजना या भविष्य के परिणामों के बारे में सोचे। उनका ध्यान केवल आज के पल पर होता है।
  5. अस्पष्टता के संकेत : वे सामान्यत: रिश्ते की स्थिति के बारे में अस्पष्ट रहते हैं, न तो यह स्पष्ट करते हैं कि वे केवल दोस्त हैं या डेटिंग कर रहे हैं, और न ही भविष्य के बारे में कोई अपेक्षाएं ज़ाहिर करते हैं।
  6. बिना अपेक्षा का संबंध : वे बिना किसी गंभीर प्रतिबद्धता के डेटिंग को जारी रखते हैं और अपने साथी से एक हल्के और बिना दबाव वाले संबंध की उम्मीद करते हैं।

NATO डेटिंग के संभावित नुकसान

1. अस्पष्टता और भ्रम : NATO डेटिंग का सबसे बड़ा जोखिम यह है कि इसमें दोनों पक्षों के इरादे स्पष्ट नहीं होते।  अगर एक व्यक्ति रिश्ते को हल्के में ले रहा है, जबकि दूसरा गहरा जुड़ाव चाहता है तो यह तनाव और भावनात्मक दर्द का कारण बन सकता है
2. भावनात्मक असुरक्षा : ऐसे रिश्ते का परिणाम तय न होने से एक व्यक्ति खुद को असुरक्षित या उपेक्षित महसूस कर सकता है। लगातार यह सोचते रहना कि दूसरा व्यक्ति इस रिश्ते को कैसे देखता है, किसी के भी मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को प्रभावित कर सकता है।
3. गहराई की कमी : इस दृष्टिकोण में अक्सर सतही कनेक्शन बनते हैं। इसका मतलब है कि व्यक्ति गहरे और मजबूत रिश्तों से वंचित रह सकता है, जिससे अकेलेपन का अहसास हो सकता है।
4. भावनात्मक थकान और अस्थिरता : इसके कई और पहलू भी है। जब व्यक्ति किसी एक रिश्ते में गंभीर नहीं होता है तो वो एक से अधिक लोगों के साथ डेटिंग कर सकता है (जिसे “रोस्टर डेटिंग” भी कहा जाता है)। ये भावनात्मक थकावट का कारण बन सकता है।
5. अनिश्चितता का दबाव : रिश्ते का कोई अंतिम लक्ष्य न होने से व्यक्ति “आगे क्या होगा” जैसे सवालों में फंस सकता है। यह अनिश्चितता व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर कर सकती है, खासकर अगर वे स्पष्टता की उम्मीद कर रहे हों।

NATO डेटिंग से जुड़ी भावनात्मक समस्याएं

1. अलगाव और अकेलापन : रिश्ते में गहराई की कमी से व्यक्ति को अकेलापन महसूस हो सकता है, भले ही वे कई कनेक्शनों में शामिल हों।
2. घटती आत्म-स्वीकृति : यदि दूसरे व्यक्ति का व्यवहार अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता, तो व्यक्ति को यह महसूस हो सकता है कि वे किसी के लिए पर्याप्त नहीं हैं। यह आत्म-सम्मान को कमजोर कर सकता है।
3. गंभीर रिश्तों के लिए तैयार न होना : NATO डेटिंग के दौरान लंबे समय तक कैजुअल कनेक्शन बनाए रखने से व्यक्ति को गंभीर रिश्तों में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि वे गहरे भावनात्मक जुड़ाव के लिए तैयार नहीं होते।
4. मिक्स सिग्नल्स : NATO डेटिंग में अक्सर लोग स्पष्ट रूप से संवाद नहीं करते हैं, जिससे दोनों पक्षों को मिश्रित संकेत मिल सकते हैं। यह भ्रम और तनाव का कारण बन सकता है।

खुद को कैसे बचाएं

1. स्पष्ट संवाद : रिश्ते की शुरुआत में खुलकर बात करें। अपनी अपेक्षाओं और सीमाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें।
2. भावनाओं का सम्मान : अपनी और दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को समझें और उनका भी सम्मान करें।
3. अपने आप को प्राथमिकता दें : यदि रिश्ते से आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है या आपको लगता है कि इस तरह की डेटिंग आपके लिए ठीक नहीं है तो शुरुआत में ही पीछे हटना बेहतर है।
4. अपना रिलेशनशिप गोल पहचानें : यदि आप स्थायित्व चाहते हैं तो NATO डेटिंग आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकती है।


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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