Parenting Tips: कहीं आप भी बच्चों पर गलत तरीके से तो नहीं निकालते गुस्सा, मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है ऐसा असर

Parenting Tips: बच्चों की गलती पर गुस्सा आना एक सामान्य प्रतिक्रिया है, लेकिन यह तरीका बच्चों के मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं क्यों।

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Parenting Tips: बच्चों का पालन-पोषण एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें धैर्य, समझ और सही दिशा-निर्देश की आवश्यकता होती है। लेकिन कई बार, माता-पिता अनजाने में अपने गुस्से का शिकार बच्चों को बना देते हैं। बच्चों पर गुस्सा निकालने का गलत तरीका उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे गलत तरीके से गुस्सा निकालना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और इससे बचने के सही तरीके क्या हैं।

बच्चों पर गुस्सा निकालने के गलत तरीकों का प्रभाव

आत्म-सम्मान में कमी

बार-बार डांटने और अपमानित करने से बच्चों का आत्मसम्मान बुरी तरह प्रभावित होता है। जब बच्चे लगातार नकारात्मक टिप्पणियों का सामना करते हैं, तो वे खुद को कमतर समझने लगते हैं। इस तरह के व्यवहार से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वे अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं। वे सोचने लगते हैं कि वे कुछ भी अच्छा नहीं कर सकते हैं। नतीजतन, वे अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करते हैं और कई बार हार मान लेते हैं।

भावनात्मक अस्थिरता

बच्चों पर लगातार गुस्सा करने से उनकी भावनात्मक स्थिरता गड़बड़ा जाती है। वे अक्सर उदास, चिंतित या डरे हुए रहते हैं। इस तरह के भावनात्मक उतार-चढ़ाव उनके मानसिक विकास को बाधित करते हैं। बच्चे अपनी भावनाओं को समझने और उन पर नियंत्रण करने में असमर्थ हो जाते हैं। यह उनके रिश्तों को भी प्रभावित करता है और वे दूसरों के साथ स्वस्थ संबंध बनाने में मुश्किल महसूस करते हैं।

आक्रामक व्यवहार

बच्चों पर लगातार गुस्सा करने से वे खुद भी आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं। जब बच्चे लगातार नकारात्मक माहौल में रहते हैं, तो वे गुस्से को ही एक सामान्य प्रतिक्रिया मान लेते हैं। नतीजतन, वे दूसरों के साथ बातचीत करते समय गुस्से से पेश आते हैं और हिंसक व्यवहार करते हैं। यह उनके सामाजिक संबंधों को खराब करता है और उन्हें दोस्त बनाने में मुश्किल होती है।

शैक्षिक प्रदर्शन में कमी

बार-बार डांटने और अपमानित करने से बच्चों में मानसिक तनाव और भावनात्मक अस्थिरता पैदा होती है। यह तनाव उनके शैक्षिक प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित करता है। बच्चे पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं, उनकी याददाश्त कमजोर हो जाती है और वे नई चीजें सीखने में कठिनाई महसूस करते हैं। नतीजतन, उनकी अकादमिक उपलब्धियां कम हो जाती हैं और वे अपने सहपाठियों से पीछे रह जाते हैं।

अवसाद और चिंता

बच्चों पर लगातार गुस्सा करने से उनमें अवसाद और चिंता जैसे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं विकसित हो सकती हैं। जब बच्चे लगातार नकारात्मक माहौल में रहते हैं, तो वे खुद को अकेला और बेसहारा महसूस करते हैं। इस तरह के भावनात्मक तनाव के कारण बच्चों में उदासी, चिंता और बेचैनी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया, तो यह उनके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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