बच्चों को आज़ादी देना भी है जरुरी, सख्त पेरेंटिंग से बिगड़ सकता है भविष्य

Parenting Tips: बच्चों को सही ढंग से विकसित करने के लिए उन्हें आज़ादी देना बहुत जरूरी है। सख्त पेरेंटिंग अक्सर बच्चों के आत्मविश्वास को कम कर सकती है और उनके विकास में बाधा डाल सकती है। जब बच्चे खुद से फैसले लेते हैं और अपनी गलतियों से सीखते हैं, तो उनका आत्म-सम्मान बढ़ता है।

भावना चौबे
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Parenting Tips: बच्चों को समझाना और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाना माता-पिता के लिए आसान काम नहीं है। कई बार सुरक्षा और अनुशासन के चक्कर में माता-पिता सख्त हो जाते हैं, जिससे बच्चों के विकास में रुकावट आ सकती है। हालांकि, सभी माता-पिता को अपने बच्चों के प्रति सख्त होना एक भलाई की बात लगती है। लेकिन कई बार यह भलाई की बजाय बुराई बन जाती है।

बच्चों को बढ़ने और सीखने के लिए थोड़ी आजादी देना भी बहुत जरूरी होता है। ताकि वह अपनी क्षमताओं को पहचान सके और आत्मनिर्भर बन सके इस संतुलन को बनाए रखना बहुत जरूरी है। ताकि, बच्चे सुरक्षित और आत्मविश्वासी रहे। आज हम इस आर्टिकल में यही समझेंगे कि माता-पिता का सपना बच्चों की नहीं कैसे नुकसानदायक हो सकता है।

बच्चों को खेलने की अनुमति दें

अक्सर सभी बच्चों का स्कूल से आने के बाद खेलने का मन करता है। अगर हम सख्त पेरेंटिंग के कारण उन्हें बाहर खेलने से रोकते हैं, तो उसकी उनके विकास में बाधा आ सकती है। इसलिए यह बेहतर होगा ही बच्चे के साथ मिलकर कुछ सीमाएं तय की जाएं उन्हें बताएं के वे किस गली तक, किस घर तक और कितने बजे तक बाहर खेल सकते हैं।

खुद से खरीदारी करने का अवसर दें

किशोर बच्चे अक्सर खुद से कुछ काम करना चाहते हैं, और उन्हें यह मौका देना चाहिए। उनकी हर जरूरत की चीज खुद से खरीदकर देने की बजाय। उन्हें पास की दुकान से अपने स्टेशनरी या अन्य सामान खुद लाने को कहे। इससे उनमें आत्मविश्वास आएगा। अभी पैसों का हिसाब रखना सीखेंगे और दूसरों से बात करने में भी सहज महसूस करेंगे।

बच्चों में जिम्मेदारी का एहसास जगाएं

किशोर बच्चों में जिम्मेदारियां और समय की समझ विकसित करने के लिए उनसे छोटे-छोटे काम करवा सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर घर में छोटा बच्चा है तो बड़े बच्चों को उसे घूमने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। साथ ही उन्हें घर के कामों में थोड़ा योगदान देने के लिए भी कहा जा सकता है। इसे वे खुद को महत्व समझने लगते हैं और जिम्मेदारी का एहसास होने होता है।

बच्चों को खुद से सीखने का मौका दें

पेरेंटिंग में सबसे मुश्किल होता है बच्चों को बिना बीच में आए सीखने देना। अगर आपने उनके लिए कुछ सीमाएं तय कर दी है, तो उन्हें उस दायरे में आजादी से फैसले लेने दें। इसमें धैर्य रखना जरूरी है, अगर लगे कि बच्चा कोई गलती कर रहा है, तो जब तक बड़ा नुकसान ना हो, उसे खुद समझना दिन बाद में उसे डांटने की बजाय, प्यार से समझाएं ताकि वह अपनी गलती से सीख सके।

 


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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