बच्चों को कंट्रोल करने के चक्कर में उन्हें जिद्दी बना रहे हैं आप? जानिए क्या न करें

Parenting Tips: अगर आप बच्चों को हर बात पर कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं, तो संभल जाइए! जरूरत से ज्यादा रोक-टोक और जबरदस्ती करने से बच्चे जिद्दी और गुस्सैल हो सकते हैं। उनका नेचर बिगड़ सकता है, जिससे वे आपकी बातें मानने के बजाय विरोध करने लगते हैं।

Parenting Tips: बच्चों की अच्छी परवरिश करना माता-पिता की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है। अपनी इस ज़िम्मेदारी को अच्छे से निभाने के लिए माता-पिता हर कोशिश करते हैं। माता-पिता की यही ख़्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छे से पढ़े लिखे, अच्छे अच्छे संस्कार सीखें, और जीवन में ख़ूब तरक़्क़ी करें।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि बचपन में हुई कई घटनाएँ बच्चों के दिमाग़ पर गहरा छाप छोड़ती है। वैसे तो माता-पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही सारे फ़ैसले लेते हैं, लेकिन कभी कभी जाने अनजाने में वे ऐसी बातें या काम कर देते हैं जिस वजह से बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है या फिर मानसिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है।

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ज़िद्दी बच्चों को कैसे सुधारें?

अक्सर कई घरों में देखा जाता है कि माता-पिता अपने एक्सपीरियंस के आधार पर यह मान बैठते हैं कि वे जो भी कह रहे हैं वहीं बच्चे के लिए सही है। ऐसे में होता यह है , कि कई बार माता-पिता बच्चे की इक्छा के विरुद्ध चीज़ें थोपने लगते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको उन आदतों या व्यवहारों के बारे में बताएंगे, जिससे बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है।

ज़बरदस्ती जल्दी उठाना

वैसे जल्दी उठने की आदत अच्छी होती है। ऐसे में बच्चे जब भी स्कूल जाते हैं , तब उन्हें ना चाहते हुए भी जल्दी उठना ही पड़ता है। अगर बच्चे की छुट्टी है, तो उसे जल्दी उठाने की कोशिश न करें। छुट्टी के दिन बच्चों को थोड़ा देर तक सोने देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि छोटे बच्चे बड़े लोगों के मुताबिक़ ज़्यादा सोते हैं और इससे उनकी ग्रोथ बढ़ती है। नींद पूरी होने से मन ख़ुश रहता है।

ज़बरदस्ती खाना खिलाना

कई बार ऐसा देखा जाता है कि माता-पिता को अपने बच्चों की बेहद फिक्र होती रहती है, जिसके चलते वे कई बार अपने बच्चों को ज़बरदस्ती खाना खिला देते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो, अब थोड़ा समझने की ज़रूरत है। ज़बरदस्ती खाना खिलाने से बच्चों का पाचन तंत्र ख़राब हो सकता है, इससे वे चिड़चिड़े हो सकते हैं।

गंभीर माहौल ना बनाएँ

कई बार माता-पिता बच्चों को समझदार बनाने के लिए उनसे सीरियस बातें करने लगते हैं जैसे कि बच्चा इन बातों को समझें और समझदार बन जाए, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चा सीरियस बातों को ज़्यादा अच्छे से नहीं समझ पाता है, ऐसे में बच्चों से हमेशा लाइट टॉक ही करनी चाहिए।

अगर आपकी बच्चे ने कोई गलती की है, तो उसे डाटने, मारने या उस पर ज़ोर से चिल्लाने की बजाय आप उसे प्यार से समझाए। प्यार से समझाए गई बातें बच्चों को जल्दी समझ आती है, ज़बरदस्ती बच्चों के साथ सख़्त बर्ताव करने से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है। ऐसे में वे हमेशा आपसे बातें शेयर करने में डटे रहेंगे।


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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