Sahityiki : साहित्यिकी में आज पढ़िये प्रेमचंद की कहानी ‘एक आंच की कसर’

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Sahityiki : आज शनिवार है और हम हर सप्ताहांत पढ़ते हैं एक कहानी। इस तरह हम अपने पढ़ने की आदत को बेहतर करने के क्रम में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। आप हम आपके लिए लेकर आए हैं प्रेमचंद की एक कहानी। इस कहानी को पढ़ने के बाद हमें समझ आता है कि झूठ की उम्र लंबी नहीं होती है और कभी न कभी इसका खुलासा हो ही जाता है। प्रेमचंद की कहानियां सामाजिक मनोविज्ञान की गहराई से पड़ताल करती हैं और मानवीय भावनाओं को बेहतरीन तरीके प्रस्तुत करती हैं। तो आईये पढ़ते हैं ये कहानी।

एक आंच की कसर

पूरी नगरी में श्रीमान यशोदानंद की खूब चर्चा हो रही थी। उनकी कीर्ति के बारे में नगरवासी ही नहीं, बल्कि अखबारों में तक लोग लिख रहे थे। उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा थी। यही तो होती है समाज सेवा, जो इंसान को इतना मान-सम्मान दिला दे। ऊंचे विचार के लोग अक्सर ही अपने समुदाय के लोगों का सिर इसी तरह से ऊंचा कर देते हैं। अब कोई किसी को यह नहीं कह सकेगा कि नेता सिर्फ बातें बनाते हैं और काम नहीं करते। इन्होंने ऐसा कार्य करके साबित कर दिया है कि ये धन-दौलत से ही धनी नहीं हैं, बल्कि सोच से भी हैं।

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About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।