Delhi: प्रकृति प्रेमियों के लिए सिक्किम एक स्वर्ग जैसा है और खेचियोपालरी झील इस स्वर्ग का एक अनमोल रत्न है। गंगटोक से लगभग 147 किलोमीटर दूर स्थित यह झील अपनी रहस्यमयी शक्ति के लिए जानी जाती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस झील में आकर अपनी मनोकामना मांगने से वह पूरी होती है। घने जंगलों के बीच बसी यह झील न सिर्फ प्रकृति प्रेमियों बल्कि अध्यात्मिक अनुभव लेने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। खेचियोपालरी झील तक पहुंचने का रास्ता भी अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है।
रहस्यों और आस्था का केंद्र
सिक्किम की खेचियोपालरी झील सिर्फ एक झील नहीं, बल्कि रहस्यों और मान्यताओं का एक केंद्र है। यह झील अपने अनोखे पैर के आकार के लिए जानी जाती है। कुछ लोग इसे भगवान शिव का पदचिन्ह मानते हैं तो कुछ बौद्ध गुरु पद्मसंभव का। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस झील के पवित्र जल में अपनी मनोकामना कहने से वह अवश्य पूरी होती है। झील के समीप स्थित दुपुकनी गुफा भी एक पवित्र स्थल है, जहां मान्यता है कि भगवान शिव ने कठोर तपस्या की थी। इन सभी मान्यताओं के कारण यह झील न केवल प्रकृति प्रेमियों बल्कि आध्यात्मिक यात्रियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।
रोमांचक यात्रा और शांति का अनुभव
खेचियोपालरी झील तक पहुंचने का सफर अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है। यह झील खेचेओपालरी गांव के पास 5,577 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आपको एक घने जंगल के बीच से होकर गुजरना होता है। लगभग 500 मीटर की दूरी तक आपको एक पतली पगडंडी से होकर चलना होता है। रास्ते के अंत में, एक ढका हुआ लकड़ी का डेक झील तक फैला हुआ है। यहां जूते उतारकर झील के पास जाना होता है। इस पवित्र झील के पास पहुंचकर मन को शांति मिलती है और प्रकृति की गोद में होने का अहसास होता है।
दिल्ली से यात्रा
दिल्ली से खेचियोपालरी झील पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले सिक्किम की राजधानी, गंगटोक पहुंचना होगा। गंगटोक पहुंचने के कई विकल्प हैं। दिल्ली से गंगटोक के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। यह सबसे तेज़ और सुविधाजनक विकल्प है। आप दिल्ली से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से गंगटोक के लिए ट्रेन ले सकते हैं। यह एक किफायती विकल्प है लेकिन समय लेने वाला हो सकता है। आप अपनी निजी गाड़ी से भी गंगटोक जा सकते हैं, लेकिन यह सबसे लंबा और थकाऊ विकल्प है।