दुनिया की सबसे पुरानी दाल, जो पथरी गलाने में करती है मदद!

आज के आर्टिकल में हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी डाल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पथरी गलाने का काम करती है। कोई जानकार हैरानी होगी कि इसका उत्पादन भारत में भी किया जाता है।

दुनिया में एक से बढ़कर एक व्यंजन हैं, जिसे लोग बड़े ही चाव से खाना पसंद करते हैं। अमूमन भारत में किसी भी साधारण परिवार में दाल, रोटी, चावल और सब्जी खाने में बनाया जाता है। जिससे वह सब पोषक तत्वों की कमी दूर होती है। साथ ही प्रोटीन, विटामिन, मिनरल शरीर को मिल पाता है। इस साधारण से खाने को खाने से व्यक्ति स्वस्थ भी रहता है।

आज के आर्टिकल में हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी डाल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पथरी गलाने का काम करती है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इसका उत्पादन भारत में भी किया जाता है।

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कुल्थी की दाल (Kulthi Ki Daal)

दरअसल, इस दाल का नाम कुल्थी है, जो कि विश्व की सबसे पुरानी दाल है। इसमें पेट की पथरी को गलाने का माता है। इस दाल को हॉर्स ग्राम के नाम से भी जाना जाता है। इसका इतिहास गंगा बेसिन सभ्यता और वैदिक सभ्यता से भी पुराना है।

सुपर फूड

बता दें कि कुल्थी की दाल का सबसे अधिक सेवन सरस्वती रिवर सभ्यता के समय और हड़प्पा कालीन सभ्यता के समय किया जाता था। यह दाल स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद है। भारत में लगभग 10,000 सालों से यह दाल खाई जा रही है। इसके अवशेष कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खुदाई के दौरान पाए गए हैं। साथ ही इसका उल्लेख वेदों में भी किया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, यह एक सुपर फूड है। स्वास्थ्य के लिए खजाने से कम नहीं है।

इन राज्यों में होता है उत्पादन

भारत में कुल्थी दाल की खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश में होती है। यहां से विश्व के कई देशों में इसका निर्यात भी होता है, जिसे लोग बड़े ही चावल से रोटी या फिर चावल के साथ खाते हैं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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