Travel: राजस्थान, भारत का एक जीवंत राज्य है, जो अपनी शाही विरासत, जीवंत संस्कृति और आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यह न केवल भारत का एक प्रमुख शहर है, बल्कि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। लाखों देशी और विदेशी पर्यटक हर साल यहां आते हैं ताकि वे राजस्थान की शानदार मेहमानवाजी का आनंद ले सकें। इस राज्य को कभी राजाओं की भूमि के रूप में जाना जाता था और आज भी इसकी ऐतिहासिक और शानदार इमारतें इस बात का प्रमाण हैं। हालांकि, राजस्थान में ऐसे कई छिपे हुए रत्न हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
राजस्थान के सुनहरे रेगिस्तानों के बीच बसा भीलवाड़ा अक्सर पर्यटकों की नज़रों से ओझल रहता है, जबकि यह शहर कई खूबसूरत जगहों का घर है। अगर आप भी राजस्थान की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं और भीड़-भाड़ से दूर एक शांत जगह की तलाश में हैं तो भीलवाड़ा आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इस लेख में हम आपको भीलवाड़ा के कुछ ऐसे ही अनछुए स्थलों के बारे में बताएंगे, जहां आप प्रकृति की गोद में खो सकते हैं और राजस्थानी संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।
मेनाल वॉटरफॉल
भीलवाड़ा की यात्रा के दौरान, मेनाल वॉटरफॉल एक ऐसा स्थान है जिसे किसी भी सूरत में नहीं छोड़ा जा सकता। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है, खासकर सप्ताहांत पर। 150 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी और आसपास की हरी-भरी वादियां इस जगह को एक प्राकृतिक आश्चर्य बनाती हैं। मानसून के मौसम में, जब झरना अपने चरम पर होता है, तो इसका दृश्य अविश्वसनीय रूप से खूबसूरत होता है। मेनाल वॉटरफॉल की शांत सुंदरता और प्राकृतिक वातावरण इसे एक शानदार गेटवे बनाते हैं जहां लोग प्रकृति के करीब आ सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
आसींद गांव
भीलवाड़ा से मात्र 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आसींद गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। खारी नदी के तट पर बसा यह गांव हरे-भरे खेतों और प्राचीन मंदिरों से घिरा हुआ है। यहां आप नदी के किनारे बैठकर शांति का आनंद ले सकते हैं, मछली पकड़ सकते हैं और राजस्थानी संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं। आसींद गांव की हरी-भरी वादियां और शांत वातावरण आपको प्रकृति के करीब लाते हैं।
बदनोर किला
भीलवाड़ा में इतिहास के पन्ने पलटने के लिए यदि कोई जगह है तो वह है बदनोर किला। इस शानदार किले का निर्माण 1584 ईस्वी के आसपास करवाया गया था और यह आज भी अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह किला न केवल इतिहास के शौकीनों बल्कि प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। किले से दिखने वाला आसपास का नज़ारा मन को मोह लेता है। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक आप इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा कर सकते हैं और इतिहास के पन्नों को पलट सकते हैं।