आप दुनिया को किस नज़र से देखते हैं ? जानिए क्या है रॉटेन एप्पल वर्म व्यू और बर्ड्स आई व्यू

मनुष्य अपनी परिस्थितियों से निर्मित होता है। हम जिन हालात में पले-बढ़े हैं, जो माहौल मिला है और जैसी सोच है..दुनिया को हम वैसा ही देखते हैं। यही वजह है कि अक्सर एक वस्तु या स्थिति को लेकर दो लोगों के दृष्टिकोण में बहुत अंतर होता है। एक मशहूर अंग्रेजी कहावत है "Put yourself in someone's shoes", जिसका अर्थ है खुद को किसी और के स्थान पर रखकर देखना। इस तरह हम स्थितियों को अलग तरीके से समझने की कोशिश कर सकते हैं। हमारी सोच और नज़रिया ही तय करता है कि हम जीवन में किस दिशा में बढ़ रहे हैं, इसलिए समय-समय पर अपने आपको टटोलते रहना और सुधार करते रहना जरूरी है। 

Shruty Kushwaha
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Rotten Apple Worm View and Bird’s Eye View : एक प्रचलित विचार है..आपको गिलास आधा खाली नज़र आता या आधा भरा। यही वो बात है जो बताती है कि हम दुनिया को किस नज़र या दृष्टिकोण से देखते हैं। दुनिया को देखने का तरीका किसी व्यक्ति की आत्मा की अंतरतम अनुभूतियों और उसकी गहरी सोच से उत्पन्न होता है। यह नज़रिया उसके जीवन के अनुभवों, उसकी संवेदनाओं और उसके भीतर की सच्चाई से आकार लेता है।

आज हम जानेंगे रॉटेन एप्पल वर्म व्यू और बर्ड्स आई व्यू के बारे में। ये दो नज़रिए हैं दुनिया को देखने के। दरअसल, हम किस चीज़ को कैसे देख रहे हैं..ये हमारी स्थितियों और सोच पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। छत पर खड़े किसी व्यक्ति को धरती अलग दिखाई देगी और हवाई जहाज़ में बैठा व्यक्ति खिड़की से झांकेगा तो उसे अलग नज़र आएगा। इसीलिए कई बार सलाह दी जाती है कि दुनिया को हमें अलग नज़र से भी देखना चाहिए।

दुनिया को देखने की नज़र और नज़रिया 

हर व्यक्ति का दुनिया को देखने का यह नज़रिया उसकी सोच, संवेदनाओं और उसकी दृष्टि पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति इस विशाल और अद्भुत ब्रह्मांड को अपने तरीके से देखता है। कभी आशा के साथ, कभी निराशा के साथ, कभी प्रेम के साथ और कभी संघर्ष के साथ। लेकिन, यदि हम इन सभी दृष्टिकोणों को जोड़कर देखें तो हमें यही समझ आता है कि दुनिया में हर दृष्टिकोण का अपना महत्व है।

रॉटेन एप्पल वर्म व्यू (Rotten Apple Worm View)

हमारे दैनिक जीवन में कई मुहावरे और कहावतें प्रचलित हैं, जो विभिन्न संदर्भों में उपयोग किए जाती हैं। इनमें से “रॉटेन एप्पल” और “वर्म व्यू” बेहद अर्थवान हैं। “रॉटेन एप्पल” एक अंग्रेजी मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “सड़ा हुआ सेब”। यह कहावत बताती है कि एक खराब व्यक्ति या तत्व पूरे समूह या व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। जैसे एक सड़ा हुआ सेब पूरी टोकरी को खराब कर सकता है, वैसे ही एक नकारात्मक व्यक्ति या तत्व पूरे समूह की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है। वहीं “वर्म व्यू” का शाब्दिक अर्थ है “कीड़े का दृष्टिकोण”। यह शब्द तब प्रयोग में आता है जब कोई व्यक्ति या वस्तु किसी स्थिति या स्थान को बहुत पास से, यानी कीड़े की तरह देखता है। “रॉटेन एप्पल वर्म व्यू” का अर्थ है कि किसी सड़े हुए सेब के अंदर के कीड़े को लगता है कि सारा संसार ही सड़ा हुआ है। ऐसा इसलिए है कि उसकी दुनिया वो सड़ा हुआ सेब ही है और उसे असल दुनिया को ज्ञान ही नहीं है।

इस बात का सार ये है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी ज़िंदगी के एक छोटे से हिस्से या नकारात्मक अनुभव से प्रभावित होता है, तो उसे यही लगता है कि यही असल दुनिया है। वह अपने जीवन की परिस्थितियों के आधार पर पूरे समाज, रिश्तों या संसार को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है। इस दृष्टिकोण में व्यक्ति सिर्फ अपने सीमित अनुभवों के आधार पर पूरी दुनिया की छवि बनाता है, जबकि असल में उस व्यक्ति के पास दुनिया के व्यापक और विविध पहलुओं का ज्ञान नहीं होता है। इसीलिए, कई बार जरूरी हो जाता है कि हम अपनी नज़र, नज़रिए और संकीर्णता से बाहर निकलकर देखने की कोशिश करें।

बर्ड्स आई व्यू (Bird’s Eye View)

“बर्ड्स आई व्यू” का शाब्दिक अर्थ है “पक्षी की आंखों का दृष्टिकोण”। इसका मतलब है किसी चीज़ को ऊंचाई से या ऊपर से देखना। जैसे कोई पक्षी आकाश में उड़ते हुए वस्तुओं को देखता है। जब आप किसी शहर का नक्शा देखते हैं या ड्रोन से किसी क्षेत्र का दृश्य प्राप्त करते हैं, तो वह “बर्ड्स आई व्यू” कहलाता है। यह दृष्टिकोण पूरी स्थिति को सामान्य तौर पर और व्यापक रूप से दर्शाता है। इस कहावत का उपयोग तब होता है जब किसी बड़े परिप्रेक्ष्य या व्यापक दृष्टिकोण से किसी स्थान या स्थिति को देखा जाता है।

जब हम बर्ड्स आई व्यू की बात करते हैं, तो ये जीवन में गहरी समझ और व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है। जब हम जीवन को पक्षी की नज़र से देखते हैं तो ये एक विहंगम दृश्य होता है। हम स्थितियों को या संसार को एक ऊंचे और व्यापक दृष्टिकोण से समझ पाते हैं, जैसे आकाश में उड़ते हुए पक्षी को पूरी धरती का दृश्य दिखाई देता है। यह दृष्टिकोण हमें जीवन की संपूर्णता को, उसके छोटे-छोटे हिस्सों से ऊपर उठकर, एक समग्र और विस्तृत रूप में देखने की क्षमता प्रदान करता है। इसका अर्थ ये भी है कि हमें अपनी सोच और समझ को ऊंचा उठाना चाहिए। जीवन के छोटे-छोटे उलझनों से बाहर आकर, हमें जीवन की गहरी और शाश्वत सच्चाइयों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


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Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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